अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.खेतों के पौधे असमय में ही क्यों मुरझा रहे थे?
उत्तर:खेतों के पौधे समय पर वर्षा न होने के कारण असमय में ही मुरझा रहे थे।
प्रश्न 2.महाजन का नाम क्या था?
उत्तर:महाजन का नाम ज्वाला प्रसाद था।
प्रश्न 3.किसान के हाथ-पैर किसे कहा गया है?
उत्तर:बैलों को किसान के हाथ-पैर कहा गया है।
प्रश्न 4.शिबू अपना बैल बेचने कहाँ जाता है?
उत्तर:शिबू अपना बैल रामपुर की हाट में बेचने जाता है।
प्रश्न 5.डाकुओं की कुल संख्या कितनी थी?
उत्तर:डाकुओं की कुल संख्या पाँच थी।
प्रश्न 6.मोहन रामधन के साथ कहाँ गया?
उत्तर:मोहन रामधन के साथ ज्वाला प्रसाद महाजन के यहाँ गया था।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.मोहन शिबू के विषय में क्यों चिन्तित था?
उत्तर:मोहन को शिबू के विषय में इसलिए चिन्ता थी कि वह जवान हो चुका था और उसे घर के काम-काज से कोई सरोकार न था।
प्रश्न 2.मोहन को अपने स्वर्गीय पिता का स्मरण क्यों हुआ?
उत्तर:जब भी शिबू के उद्दण्ड व्यवहार से मोहन दुःखी होता था, तब उसे अपने मृत पिता की याद आ जाती क्योंकि उसने भी अपने पिता को कम नहीं खिझाया था। पिता के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का सबसे बड़ा साधन कदाचित् बच्चे को प्यार करना ही है।
प्रश्न 3.शिबू द्वारा बैल का अपमान करने पर मोहन की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:मोहन को अपने पुत्र शिबू के बैल के प्रति किये व्यवहार से बहुत दुःख हुआ। उसने बैल की सार की अच्छी तरह सफाई की, बैल को पानी पिलाने ले गया, उसको नहलाया, फिर भूसा डाला, इसके बाद घर से रोटी लाकर उसके टुकड़े-टुकड़े करके खिलाया।
प्रश्न 4.बैल को बेचने के लिए जाते हुए मोहन ने शिबू से क्या कहा?
उत्तर:बैल को बेचने के लिए जाते हुए मोहन ने शिबू से कहा-एक बात बेटा, मेरी मानना। बैल किसी भले आदमी को देना जो उसे अच्छी तरह रखे। दो-चार रुपये कम मिलें तो ख्याल न करना।
प्रश्न 5.शिबू ने डाकुओं का प्रतिकार किस प्रकार किया?
उत्तर:पहले तो शिबू छाती तानकर खड़ा हो गया। बोला। मैं रुपये नहीं दूंगा। इसके बाद दूसरे डाकू के बन्दूक के कुन्दे को मारने पर उसने कुन्दे को इस तरह पकड़ लिया जिस तरह सपेरे साँप का फन पकड़ लेते हैं। अपने को आगे ठेलता हुआ वह बोला-तुम मुझे मार सकते हो, परन्तु रुपये नहीं छीन सकते। शिबू के साहस को देखकर डाकुओं से लुटे-पिटे व्यक्ति भी एक साथ आ गये, जिन्हें देखकर डाकू भाग खड़े हुए।
प्रश्न 6.ज्वाला प्रसाद ने मोहन से क्या कहा?
उत्तर:ज्वाला प्रसाद ने मोहन से कहा कि वायदे बहुत हो चुके। अब हमारे रुपये अदा कर दो, नहीं तो अच्छा न होगा।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.मोहन शिबू को बैल बेचने से क्यों मना करता है?
उत्तर:बैल बेचने के बचाव में मोहन ने शिबू को डाँटते हुए कहा-“चुप रह! घर में जोड़ी न होती तो इतनी बातें बनाना न आता। बैल किसान के हाथ-पैर होते हैं। एक हाथ टूट जाने पर कोई दूसरा भी कटा नहीं डालता। मैं इसका जोड़ मिलाने की फ्रिक में हूँ, तू कहता है-बेच दो। दूर हो, जहाँ जाना हो चला जा। मैं सब कर लूँगा।” वह दोगुने प्यार से उसका ख्याल रखता है।
प्रश्न 2.दद्दा के दोपहर में न आने पर शिबू ने क्या किया?
उत्तर:सबेरे ज्वाला प्रसाद के आदमी के साथ गए दद्दा दोपहर तक रोटी खाने भी नहीं आए हैं। यह जानकर शिबू झपाटे के साथ घर से निकलकर ज्वाला प्रसाद के यहाँ जा पहुँचा। वहाँ उसने पिता को मुँह सुखाए, पसीने-पसीने एक जगह बैठा देखा। ज्वाला प्रसाद द्वारा रुपये की कहने पर उसने कहा-अपनी रुपहट्टी लोगे या किसी की जान? अरे, कुछ तो दया होती! बूढ़े ने सवेरे से पानी तक नहीं पिया। तुम कम-से-कम चार दफे दूंस चुके होंगे। अपने पिता से यह कहकर कि मैं तुम्हें कसाई की गाय की तरह मरने न दूंगा और रामपुर की हाट में सोमवार को बैल बेचकर उनकी कौड़ी पाई चुका दूँगा, उनका हाथ पकड़कर झकझोरता हुआ साथ ले गया। साहूकार चुपचाप देखता रह गया, एक शब्द भी उसके मुँह से नहीं निकला।
प्रश्न 3.शिबू द्वारा किये गये व्यवहार की ज्वाला प्रसाद पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:शिबू के व्यवहार से ज्वाला प्रसाद हतबुद्धि होकर ज्यों के त्यों बैठे रहे। उन्होंने शिबू के जैसा निर्भय आदमी न देखा था। उनके मुँह पर ही उन्हें कसाई बनाया गया। गुस्सा की अपेक्षा उन्हें डर ही अधिक मालूम हुआ।
प्रश्न 4.बैल के बेचने का निश्चय होते ही मोहन की हालत कैसी हो गई?
उत्तर:बैल के बेचने का निश्चय होते ही दो दिन में ही ऐसा जान पड़ने लगा-मानो मोहन बहुत दिन का बीमार हो। दिनभर वह बैल के विषय में ही सोचा करता। रात को उठकर कई बार बैल के पास जाता। रात के एकान्त में जब उसे अवसर मिलता, बैल के गले से लिपटकर प्रायः आँसू बहाने लगता।
प्रश्न 5.बैल को बेचने के पश्चात् शिबू की मानसिक स्थिति का चित्रण कीजिए।
उत्तर:बैल बेचने के पश्चात् शिबू घर लौट रहा था। रुपये उसकी अण्ढी में थे तो भी आज उसकी चाल में बहुत तेजी नहीं थी, जो जाते समय थी। न जाने, कितनी बातें उसके भीतर आ-जा रही थीं। बैल के बिना उसे सूना-सूना मालूम हो रहा था। आज के पहले वह यह बात किसी तरह न मानता कि उसके मन में भी उस क्षुद्र प्राणी के लिए इतना प्रेम था। बार-बार उसे बैल की सूरत याद आती। उसके ध्यान में आता मानो विदा होते समय बैल भी उदास हो गया था। उसकी आँखों में आँसू छलक आये थे। बैल का विचार दूर करता तो पिता का सूखा बेहरा सामने आ जाता। बैल और पिता मानो एक ही चित्र के दो ख थे। लौट फिर कर एक के बाद दूसरा उसके सामने आ जाता था।
प्रश्न 6.शिबू का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:शिबू किसान मोहन का लड़का था। वह उद्दण्ड स्वभाव का था। उसे घर के काम-काज से कोई सरोकार नहीं था। खाना-पीना और इधर-उधर आवारागर्दी में घूमना ही उसका काम था।
इसके अतिरिक्त वह महाजन तथा साहूकारों से घृणा करता था। वह किसी से दबता नहीं था। वह साहसी था। जब डाकुओं ने उसे पकड़ लिया तब वह उनसे भी लड़ने-मरने को आमादा हो जाता है। उसके साहस से ही डाकू भाग जाते हैं और वह लुटे हुए लोगों को स्वतन्त्र करा देता है।
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Bahut acchi Jankari Hai Guru Ji
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