यक्ष प्रश्न (वार्ता)
प्रश्न 1. विषैले तालाब के नजदीक युधिष्ठिर ने क्या देखा?
उत्तर: युधिष्ठिर जैसे ही तालाब के पास पहुँचे, वहाँ पर उन्होंने अपने चारों भाई (भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव) को मृत अवस्था में देखा।
प्रश्न 2. यक्ष के, संसार के सबसे बड़े आश्चर्य सम्बन्धी प्रश्न पर युधिष्ठिर ने क्या उत्तर दिया?
उत्तर: यक्ष के प्रश्न का युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि हर रोज आंखों के सामने कितने ही प्राणियों को मृत्यु के मुंह में जाते हुए देख कर भी बचे हुए प्राणी, इस बात की इच्छा रखते हैं कि हम अमर रहे यह कितने आश्चर्य की बात है।
प्रश्न 3. युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करवाने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर: युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करने के लिए इसलिए कहा क्योंकि उनके पिता की दो पत्नियाँ थीं। उनमें से एक पत्नी कुंती के पुत्र वे स्वयं थे। अतः यदि यक्ष नकुल को जीवित करेंगे तो माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित हो जायेगा। इस प्रकार दोनों का एक-एक पुत्र जीवित रहेगा।
प्रश्न 4. यक्ष ने आशीर्वाद देते हुए युधिष्ठिर से क्या कहा?
उत्तर: यक्ष ने युधिष्ठिर को आशीर्वाद देते हुए कहा कि मैं तुम्हारे सद्गुणों और शिष्टाचार से प्रसन्न हूँ। अब बारह वर्ष के वनवास की अवधि पूर्ण होने जा रही है लेकिन एक वर्ष तक तुम्हें अज्ञातवास करना है, वह भी सफलता से पूरा हो जायेगा। मेरे आशीर्वाद से इस अवधि में कोई भी व्यक्ति तुम्हें पहचान नहीं पायेगा।
प्रश्न 5. वनवास की कठिनाइयों के बीच अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर ने क्या-क्या प्राप्त किया?
उत्तर: वनवास की कठिन घड़ी में अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर को कुछ न कुछ अनुभव और आशीर्वाद प्राप्त हुए-
1. अर्जुन को वनवास के समय ही इन्द्रदेव के दिव्य अस्त्र प्राप्त हुए।
2. भीम को हनुमान से भेंट और आलिंगन करने के पश्चात् हनुमान का बल प्राप्त हुआ।
3. युधिष्ठिर को मायावी सरोवर के समीप धर्मदेव ने दर्शन दिये तथा उन्हें गले लगाकर आशीर्वाद प्रदान किया।
इस प्रकार वनवास की कठिनाइयों के मध्य तीनों ने विभिन्न प्रकार के वरदान प्राप्त किये।
प्रश्न 6. युधिष्ठिर के द्वारा दिये गये उत्तरों की यक्ष पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर: युधिष्ठिर के द्वारा दिये गये उत्तरों को सुनकर यक्ष, युधिष्ठिर के सद्गुणों से प्रभावित हुए; क्योंकि युधिष्ठिर के द्वारा दिये गये सभी प्रश्नों के उत्तर सटीक और सार्थक थे। उन्होंने हर प्रश्न का उत्तर बुद्धि और विवेक का प्रयोग कर निरपेक्ष भाव से दिया था। यक्ष युधिष्ठिर के बुद्धि, कौशल और चातुर्य से प्रभावित थे। मन ही मन यक्ष, युधिष्ठिर के मनोभावों को भी पढ़ते जा रहे थे।
लेकिन युधिष्ठिर ने यक्ष के हर प्रश्न का उचित उत्तर देकर परीक्षा में सफलता प्राप्त की। साथ ही धर्मदेव बने यक्ष से आशीर्वाद भी प्राप्त किया। यथार्थ में मानव का विवेक एवं बुद्धि कौशल सफलता की सीढ़ी है।
प्रश्न 7. यक्ष-युधिष्ठिर संवाद से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: यक्ष और युधिष्ठिर के संवाद से यह शिक्षा मिलती है कि मानव को कभी भी किसी की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि किसी भी वस्तु का उपयोग उस वस्तु के स्वामी से पूछकर ही करें।
ईश्वर व्यक्ति की किसी भी समय परीक्षा ले सकता है। अतः व्यक्ति को सदैव सत्य, निष्ठा और धर्म का आचरण करना चाहिए। यदि व्यक्ति सद्गुणों पर चलेगा, तो सदैव कर्तव्य के मार्ग में आगे बढ़ता रहेगा। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सत्यनिष्ठ व धर्मनिष्ठ होना चाहिए। यही सफलता का मूलमन्त्र है।
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