अध्याय 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर अध्याय 3 (काव्य खंड) - हिंदी गुरु

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गुरुवार, 4 जनवरी 2024

अध्याय 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर अध्याय 3 (काव्य खंड)

                                          अध्याय 3 (काव्य खंड) 

                        अध्याय 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर



प्रश्न 1:-इस कविता के बहाने बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?

उत्तर – कविता के बहाने कविता में सब घर एक कर देने के मायने’ का अर्थ है- सीमा का बंधन समाप्त हो जाना। जिस प्रकार बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का ध्यान नहीं रखा जाता, उसी प्रकार कविता में स्थान की कोई सीमा नहीं है। यह शब्दों का खेल है। कवि बच्चों की तरह पूरे समाज को एक मानता है। वह अपने पराए का भेद भूलकर कविता लिखता है। कविता का कार्य समाज में एकता लाना है। 

प्रश्न 2:-‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से क्या संबंध बनता है?

                                     अथवा

कविता के बहाने उसकी उड़ान और उसके खिलने का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर - कवि ने बताया कि चिड़िया एक जगह से दूसरी जगह उड़ती है। इसी प्रकार कविता भी हर जगह पहुँचती है। उसमें कल्पना की उड़ान होती है। कवि फूल खिलने की बात करता है। दूसरे शब्दों में, कविता का आधार प्राकृतिक वस्तुएँ हैं। वह लोगों को अपनी रचनाओं से मुग्ध करती है। 


प्रश्न 3:-कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?

                                    अथवा

कविता को बच्चों के समान क्यों कहा गया हैं? तक सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर – कवि ने बच्चे और कविता को समानांतर रखा है। बच्चों में रचनात्मक ऊर्जा होती है। उनके खेलने की कोई निश्चित सीमा नहीं होती। उनके सपने असीम होते हैं। इसी तरह कविता भी रचनात्मक तत्वों से युक्त होती है। उसका क्षेत्र भी विस्तृत होता है। उनकी कल्पना शक्ति अद्भुत होती है। 


प्रश्न 4:-कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ क्या होते हैं?

उत्तर – कवि का मानना है कि कविता फूलों की तरह कभी मुरझाती नहीं है। यह अमर होती है तथा युग-युगांतर तक मानव-समाज को प्रभावित करती रहती है। कविता हमेशा अपनी महक बरकरार रहती है। 


प्रश्न 5:-‘भाषा को सहूलियत’ से बरतने का क्या अभिप्राय है? 

उत्तर - इसका अर्थ यह है कि कोई भी रचना करते समय कवि को आडंबरपूर्ण, भारी-भरकम, समझ में न आने वाली शब्दावली का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कवि को अपनी बात सहज व व्यावहारिक भाषा में कहना चाहिए ताकि आम लोग कवि की भावना को समझ सकें।

प्रश्न 6:- बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती हैं? कैसे?

                                                   अथवा

किसी रचना में भाव की प्रधानता महत्वपूर्ण है या भाषा की? कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर – बात और भाषा का आपस में गहरा संबंध है, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। इसका कारण यह है कि मनुष्य शब्दों के चमत्कार में उलझ जाता है। वह इस गलतफहमी का शिकार हो जाता है कि कठिन तथा नए शब्दों के प्रयोग से वह अधिक अच्छे ढंग से अपनी बात कह सकता है। भाव को कभी भाषा का साधन नहीं बनाना चाहिए। 


प्रश्न 7:- बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें।


बिंब/मुहावरा                                                           विशेषता

(क) बात की चूड़ी मर जाना       कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना

(ख) बात की पेंच खोलना                                   बात का पकड़ में न आना।

(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना             बात का प्रभावहीन हो जाना

(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देना                    बात में कसावट का न होना।

(ङ) बात का बन जाना                                  बात को सहज और स्पष्ट करना 

उत्तर –

बिंब/मुहावरा                                                       विशेषता

(क) बात की चूड़ी मर जाना                                बात का प्रभावहीन हो जाना                      

(ख) बात की पेंच खोलना                                 बात को सहज और स्पष्ट करना 

(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना          बात का पकड़ में न आना।           

(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देना                 बात में कसावट का न होना।

(ङ) बात का बन जाना                                    कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना                    

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