पाठ 6- यह दंतुरित मुस्कान और फसल
प्रश्न
1.बच्चे की दंतुरित मुसकान
का कवि के मन
पर क्या प्रभाव पड़ता
है?
उत्तर-बच्चे की दंतुरित मुसकान
को देखकर कवि का मन
प्रसन्नता से भर उठता
है। उन्हें बच्चे की मुस्कान की
मनमोहकता देखकर ऐसा लगता है
कि यह मृत व्यक्ति
में भी जान डाल
देगी|
प्रश्न
2.बच्चे की मुसकान और
एक बड़े व्यक्ति की
मुसकान में क्या अंतर
है?
उत्तर-
बच्चे की मुसकान और
एक बड़े व्यक्ति की
मुसकान में बहुत अंतर
होता है।
1.बच्चे
की मुसकान सरल और स्वाभाविक
होती है वहीं बड़ों
की मुसकान में बनावटीपन होता
है|
2.बच्चे
की मुसकान भोली और स्वार्थरहित
होती है वहीं बड़ों
की मुसकान कुटिल और स्वार्थी होती
है|
3.बच्चे
की मुसकान निष्काम और निश्छल होती
है वहीं बड़ों की
मुसकान उसकी परिस्थितियाँ के
अनुसार तय होती है|
प्रश्न
3. कवि ने बच्चे की
मुसकान के सौंदर्य को
किन-किन बिंबों के
माध्यम से व्यक्त किया
है ?
उत्तर-कवि नागर्जुन ने
बच्चे की मुसकान के
सौन्दर्य को निम्नलिखित बिम्बों
के माध्यम से व्यक्त किया
है-
1.मृतक
में भी जान डाल
देना ।
2.कमल
का तालाब छोड़कर झोपड़ी में खिलना ।
3.बाँस
या बबूल से शेफ़ालिका
के फूलों का झड़ना ।
4.स्पर्श
पाकर पत्थर का पिघलना|
5.तिरछी
नज़रों से देख कर
मुसकाना।
प्रश्न
4. भाव स्पष्ट कीजिए -
(क)
छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में
खिल रहे जलजात।
उत्तर-धूल से सना
शिशु का शरीर और
उसकी निश्छल मुसकान कवि को इतना
प्रभावित करती है कि
उसे लगता है जैसे
कोई कमल का फूल
तालाब में न खिलकर
उनकी झोपडी के अंदर खिल
गया हो।
उत्तर-इस पंक्ति का
भाव है कि शिशु
के स्पर्श मात्र से बबूल और
बाँस के पेड़ से
शेफालिका के फूल झरने
लगते हैं यानी शिशु
के स्पर्श में ऐसा जादू
है कि कठोर प्रवृत्ति
वाले व्यक्तियों का हृदय भी
पिघल जाए और आनंद
का संचार हो जाए|
रचना
और अभिव्यक्ति
प्रश्न
5.मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी
उपस्थिति से बने वातावरण
की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर-
मुस्कान और क्रोध एक
दूसरे के विपरीत होते
हैं।
1. जब
व्यक्ति के इच्छा अनुसार
कार्य होता
है, तब उसके मुख
पर मुस्कान आ जाती है।
2. जब
व्यक्ति के इच्छा अनुसार
कार्य नहीं होता है,
तब उसके मन में
क्रोध का भाव उत्पन्न
हो जाता है।
3. मुस्कान
सुंदर व आनंद की
सृष्टि करती है।
4. क्रोध
से घृणा व प्रतिशोध
की भावना उत्पन्न होती है।
5. मुस्कान
से प्रेम और क्रोध से
घृणा उत्पन्न होती है।
प्रश्न
6.दंतुरित मुसकान से बच्चे की
उम्र का अनुमान लगाइए
और तर्क सहित उत्तर
दीजिए।
उत्तर-
यह दंतुरित मुसकान कविता में वर्णित शिशु
के क्रियाकलापों से यह अनुमान
लगता है कि उसकी
उम्र पाँच-छह महीने
होगी क्योंकि इसी उम्र में
बच्चे अपरिचित को पहचानने का
प्रयास करते हैं तथा
उनके दाँत निकलने शुरू
हो जाते हैं।
प्रश्न
7.बच्चे से कवि की
मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे
अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
कवि और वह बच्चा
दोनों एक-दूसरे पहली
बार मिले हैं इसीलिए
बच्चा उन्हें एकटक देखता रहता
है। बच्चे की मुसकान कवि
के हृदय को प्रसन्नता
से भर देती है|
उन्हें ऐसा लगता है
जैसे कमल के फूल
तालाब को छोड़कर उसके
झोंपड़ें में खिल उठे
हैं। उन्हें लगता है कि
बच्चा कहीं उन्हें देखते-देखते थक ना जाए
इसीलिए वह आँख फेर
लेते हैं|
फसल
प्रश्न
1. कवि के अनुसार फसल
क्या है?
1.मनुष्य
की परिश्रम
2.नदियों
का पानीपानी
3.उपजाऊ
मिट्टीमिट्टी
4.सूर्य
की किरणें
5.बहती
हुई हवा
6.धूप
प्रश्न
3. फसल को 'हाथों के
स्पर्श की गरिमा' और
'महिमा' कहकर कवि क्या
व्यक्त करना चाहता है?
प्रश्न
4.भाव स्पष्ट कीजिए -
रूपांतर
है सूरज की किरणों
का
सिमटा
हुआ संकोच है हवा की
थिरकन का!
रचना
और अभिव्यक्ति
प्रश्न
5. कवि ने फसल को
हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का
गुण-धर्म कहा है
-
उत्तर- (क) मिट्टी के
गुण-धर्म का मतलब
है उसमें मौजूद प्राकृतिक और पोषक तत्व,
खनिज पदार्थ जो मिट्टी का
रंग और स्वरूप निश्चित
करती है। मिट्टी की
अधिक उपजाऊ क्षमता से फसल का
उत्पाद भी अधिक होता
है|
(ख)
वर्तमान जीवन शैली मिट्टी
के गुण-धर्म को
किस-किस तरह प्रभावित
करती है?
उत्तर- (ख) वर्तमान जीवन-शैली मिट्टी को
प्रदूषित कर रही है।
उपयोग में लाए जा
रहे हैं अनेक प्रकार
के रासायनिक तत्व, उर्वरक, कीटनाशक, प्लास्टिक निर्मित वस्तुएँ मिट्टी के मूल स्वरूप
को नष्ट कर रही
हैं जिसका नकरात्मक प्रभाव फसल पर भी
पड़ रहा है|
(ग)
मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म
छोड़ने की स्थिति में
क्या किसी भी प्रकार
के जीवन की कल्पना
की जा सकती है?
उत्तर- (ग) अगर मिट्टी
ने अपना गुण-धर्म
छोड़ दिया तो धरती
से हरियाली का, पेड़-पौधे
और फ़सल आदि का
नामोनिशान मिट जाएगा। इनके
अभाव में धरती पर
जीवन की कल्पना ही
नहीं की जा सकती
।
(घ) मिट्टी के
गुण-धर्म को पोषित
करने में हमारी क्या
भूमिका हो सकती है?
उत्तर- (घ) हम मिट्टी
को वृक्षारोपण कर, प्लास्टिक की
वस्तुओं का उपयोग बंद
कर, कारखानों को सीमित कर,
रासायनिक तत्वों का उपयोग काम
कर हम मिट्टी के
गुण-धर्म को पोषित
कर सकते हैं।
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