काव्य की परिभाषा:- भाव प्रधान रचना
को काव्य कहते हैं।
“वाक्य रसात्मक काव्यम” अर्थात रस युक्त वाक्य ही काव्य कहलाते हैं।
काव्य के दो भेद होते हैं।
(1) श्रव्य काव्य (2) दृश्य
काव्य
(1) श्रव्य काव्य:- जिस काव्य को
पढ़कर या सुनकर आनंद प्राप्त किया जाता है‚ उस काव्य को
श्रव्य काव्य कहते हैं। यह दो प्रकार के
होते हैं।
(1) प्रबंध काव्य (2) मुक्तक
काव्य
(1) प्रबंध काव्य:- जिस काव्य में
कोई कथा एक व्यवस्थित क्रम से कही गई होती है‚ उसे प्रबंध काव्य कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं।
(1) महाकाव्य (2) खंडकाव्य
(1) महाकाव्य:- महाकाव्य में
किसी महान पुरुष के संपूर्ण जीवन की कथा का वर्णन होता है। इसमें 8 या 8 से सर्ग (भाग) होते हैं। महाकाव्य में मुख्य कथा के साथ-साथ लघु कथा भी होती हैं।
महाकाव्य एवं उनके रचयिता:- साकेत - मैथिलीशरण गुप्त पद्मावत - मलिक
मोहम्मद जायसी
रामचंद्रिका - केशवदास
कामायनी - जयशंकर प्रसाद, रामचरितमानस - तुलसीदास
(2) खंडकाव्य:- किसी के जीवन की
किसी एक घटना का विस्तार पूर्वक वर्णन होता है। इसमें 7 से कम सर्ग (भाग) होते हैं।
प्रमुख खंडकाव्य एवं उनके रचयिता
सुदामा चरित्र - नरोत्तमदास
पंचवटी - मैथिलीशरण गुप्त
हल्दीघाटी - श्याम नारायण पांडे
कुरुक्षेत्र - रामधारी सिंह दिनकर
पथिक - रामनरेश त्रिपाठी
मुक्तक काव्य:- इस काव्य में
किसी एक छंद के माध्यम से एक ही घटना का वर्णन होता है, तथा अगले छंद में
किसी दूसरी घटना का वर्णन होता है। मुक्तक काव्य
में प्रत्येक छंद स्वयं में पूर्ण होता है।
जैसे:- कबीर के दोहे, और मीराबाई के दोहे
मुक्तक काव्य के दो भेद होते हैं। (1)पाठ्य
मुक्तक (2) गेय मुक्तक
दृश्य काव्य:- जिस काव्य का
आनंद पात्रों के अभिनय को देख कर लिया जाता है, उसे दृश्य कब कहते हैं।
जैसे:- नाटक और एकांकी
काव्य की परिभाषा एवं उसके भेद का वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें---https://youtu.be/D6vMjNL7X2U
Neeraj
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर,
हटाएंइस जानकारी को और भी ज्यादा शेयर करेंं
बहुत अच्छा।
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