कक्षा-12 आरोह भाग-2
अध्याय- 2 पतंग कवि आलोक धन्वा
प्रश्न 1.सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में करें।
अथवा
सबसे तेज बौछारों के साथ भादों के बीत जाने के बाद प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण ‘पतग’ कविता के आधार पर अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:- सबसे तेज बौछारें गई, भादो गया, के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, वह निम्नलिखित है-
(1) सुबह के सूरज की लालिमा बढ़ जाती है।
(2) सुबह के सूरज की लाली खरगोश की आँखों जैसी दिखती है।
(3) शरद ऋतु का आगमन हो जाता है। गरमी समाप्त हो जाती है।
(4) प्रकृति खिली-खिली दिखाई देती है।
(5) आसमान नीला व साफ़ दिखाई देता है। धूप चमकीली होती है।
(6) फूलों पर तितलियाँ मँडराती दिखाई देती हैं।
(7) सभी लोग खुले मौसम में आनंदित हो रहे हैं।
प्रश्न 2.सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हलकी और रंगीन चीज़, सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?
अथवा
पतंग के बारे में कवि ने क्या बताया है?
उत्तर:-कवि ने पतंग के लिए अनेक विशेषणों का प्रयोग किया है। पतंग को सुंदर बनाने के लिए रंगीन कागज का प्रयोग होता है। इंद्रधनुष के समान यह अनेक रंगों की होती है। इसका कागज़ इतना पतला होता है कि हाथ लगते ही फट जाता है। यह बाँस की पतली कमानी से बनती है। कवि इनके माध्यम से बाल सुलभ चेष्टाओं का अंकन करता है। पतंग भी बालमन की तरह कल्पनाशील, कोमल व हलकी होती है।
प्रश्न 3.बिंब स्पष्ट करें-
सबसे तेज़ बौछारें गयीं। भादो गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतग उड़ाने वाले बच्चों के झुड को
चमकील इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके
उत्तर:- प्रस्तुत काव्यांश के माध्यम से कवि ने सावन मास के बाद गर्मी का प्रभाव कम होने पर बच्चों के खेलने का सहज और सुंदर चित्रण किया है।
(1) इस समय आत्मा साफ और स्वच्छ रहता है।
(2) आसमान नीला व साफ़ दिखाई देता है। धूप चमकीली होती है।
(3) सुबह के सूरज की लालिमा बढ़ जाती है। सूरज की लाली खरगोश की आँखों जैसी दिखती है।
(4) इसके बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। कवि ने उसके आगमन को भी पुलों को पार करते हुए के समान बताया है। अर्थात ऋतु परिवर्तन के बारे में लोगों को धीरे-धीरे ही आभास होता है।
प्रश्न 4.जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास – कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है?
उत्तर:-कपास से बच्चों का गहरा संबंध है। दोनों में काफ़ी समानताएँ हैं। कपास जैसे सफ़ेद होती है, वैसे ही बच्चे भी सफ़ेद अर्थात् गोरे होते हैं। कपास की तरह ही बच्चे भी कोमल और मुलायम होते हैं। कपास के रेशे की तरह ही उनकी भावनाएँ। होती हैं। वास्तव में बच्चों की कोमल भावनाओं का और उनकी मासूमियत का प्रतीक है।
प्रश्न 5.पतगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं- बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनता हैं?
उत्तर:–पतंग बच्चों की कोमल भावनाओं की परिचायिका है। जब पतंग उड़ती है तो बच्चों का मन भी उड़ता है। पतंग उड़ाते समय बच्चे अत्यधिक उत्साहित होते हैं। पतंग की तरह बालमन भी हिलोरें लेता है। वह भी आसमान की ऊँचाइयों को छूना चाहता है। इस कार्य में बच्चे रास्ते की कठिनाइयों को भी ध्यान में नहीं रखते।
प्रश्न 6.कवि आलोक धन्वा के अनुसार बच्चों की दुनिया कैसी होती है?
उत्तर:- कवि के अनुसार बच्चों की दुनिया ऊर्जा, उत्साह और उमंग से भरी हुई होती है। बे कल्पनाओं के सागर में गोता लेते हैं। उनकी जिंदगी आसमान में उड़ती रंग-बिरंगी पतंगों की तरह रंगीन एवं हल्की-फुल्की होती है। और उनका स्वभाव तितलियों के समान अत्यंत कोमल होता है।
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