हिन्दी आरोह भाग-2 गद्य खंड कक्षा-12 अध्याय-10
भक्तिन
लेखिका महादेवी वर्मा
प्रश्न 1:-भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया होगा?
उत्तर – भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था जिसका अर्थ है धन की देवी। वह जानती है कि समृद्ध का सूचक यह नाम गरीब महिला को शोभा नहीं देता। लेकिन लक्ष्मी के पास धन बिलकुल नहीं था। वह बहुत गरीब थी। इसलिए वह अपना वास्तविक नाम छुपाती थी। उसे यह नाम उसके घरवालों ने दिया होगा। भारतीय समाज में लड़की का पैदा होना वास्तव में लक्ष्मी का घर आना माना जाता है। इसलिए उसके जन्म लेने पर उसका यह नाम रख दिया।
प्रश्न 2:-दो कन्या रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जेठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है? क्यों इससे आप सहमत हैं?
उत्तर- हाँ मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूँ। जब भक्तिन अर्थात् लक्ष्मी ने दो पुत्रियों को जन्म दिया तो उसके ससुराल वालों ने उस पर घोर अत्याचार किए। उसकी जेठानियों ने उस पर बहुत जुल्म ढाए। इसी कारण उसकी बेटियों को दिन भर काम करना पड़ता था। इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। उसकी जेठानियों ने तो जमीन हथियाने के लिए लछमिन की विधवा बेटी से अपने भाई का विवाह करने की योजना बनाई, जब यह योजना नहीं सफल हुई तो लछमिन पर अत्याचार बढ़ते गए।
प्रश्न 3:- भक्तिन की बेटी पर पंचायत दवारा ज़बरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं ,बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) की स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक हैं। कैसे?
अथवा
भक्तिन की बेटी पर पंचायत दवारा ज़बरन पति थोपा जाना स्त्री के के मानवाधिकार को कुचलने की परंपरा का प्रतिक है। इस कथन पर तर्कसंगत टिप्पणी कीजिए?
उत्तर– नारी पर अनादिकाल से हर फैसला थोपा जाता रहा है। विवाह के बारे में वह निर्णय नहीं ले सकती। माता-पिता जिसे चाहे वही उसका पति बन जाता है। लड़की की इच्छा इसमें बिलकुल शामिल नहीं होती। लड़की यदि मान जाती है, तो ठीक वरना उसकी शादी जबरदस्ती करवा दी जाती है। उसे इस बात का कोई अधिकार नहीं है कि वह किससे विवाह करे या किससे न करे। उसके इस मानवाधिकार को तो माता-पिता सदियों से कुचलते रहे हैं।
प्रश्न 4:- भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर- जब भक्तिन लेखिका के घर काम करने आई तो वह सीधी-सादी, भोली-भाली लगती थी लेकिन ज्यों-ज्यों लेखिका के साथ उसका संबंध और संपर्क बढ़ता गया त्यों-त्यों वह उसके बारे में जानती गई। लेखिका को उसकी बुराइयों के बारे में पता चलता गया। इसी कारण लेखिका को यह लगा कि भक्तिन अच्छी नहीं है। उसमें कई दुर्गुण हैं अतः उसे अच्छी कहना और समझना लेखिका के लिए कठिन है।
प्रश्न 5:- भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया हैं?
उत्तर– जब लेखिका चोरी हुए पैसों के बारे में लक्ष्मी से पूछती है तो वह कहती है कि पैसे मैंने सँभालकर रख लिए हैं। क्या अपने ही घर में पैसे सँभालकर रखना चोरी है। भक्तिन की यह विशेषता है कि वह हर बात को, चाहे वह शास्त्र की ही क्यों न हो, अपनी सुविधा के अनुसार ढाल लेती है। वह कहती है कि चोरी और झूठ तो धर्मराज युधिष्ठिर में भी होगा। नहीं तो वे श्रीकृष्ण को कैसे खुश रख सकते थे और संसार (अपने राज्य को कैसे) चला सकते थे। चोरी करने की घटनाओं और महाराज युधिष्ठिर का उदाहरण लेखिका दिया है।
प्रश्न 6:- भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गईं?
उत्तर- भक्तिन के आ जाने से महादेवी ने लगभग उन सभी संस्कारों को, क्रियाकलापों को अपना लिया जो देहातों में अपनाए जाते हैं। देहाती की हर वस्तु, घटना और वातावरण का प्रभाव महादेवी पर पड़ने लगा। वह भक्तिन से सब कुछ जान लेती थी ताकि किसी बात की जानकारी अधूरी न रह जाए। धोती साफ़ करना, सामान बांधना आदि बातें भक्तिन ने ही सिखाई थी। वैसे देहाती भाषा भी भक्तिन के आने के बाद ही महादेवी बोलने लगी। इन्हीं कारणों से महादेवी देहाती हो गई।
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