मैं
क्यों लिखता हूँ?
प्रश्न
1.लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष
अनुभव की अपेक्षा अनुभूति
उनके लेखन में कहीं
अधिक मदद करती है,
क्यों?
उत्तर-
लेखक की मान्यता है
कि सच्चा लेखन भीतरी विवशता
से पैदा होता है।
यह विवशता मन के अंदर
से उपजी अनुभूति से
जागती है, बाहर की
घटनाओं को देखकर नहीं
जागती। जब तक कवि
का हृदय किसी अनुभव
के कारण पूरी तरह
संवेदित नहीं होता और
उसमें अभिव्यक्त होने की पीड़ा
नहीं अकुलाती, तब तक वह
कुछ लिख नहीं पाता।
प्रश्न
2.लेखक ने अपने आपको
हिरोशिमा के विस्फोट का
भोक्ता कब और किस
तरह महसूस किया?
उत्तर-
लेखक हिरोशिमा के बम विस्फोट
के परिणामों को अखबारों में
पढ़ चुका था। जापान
जाकर उसने हिरोशिमा के
अस्पतालों में आहत लोगों
को भी देखा था।
अणु-बम के प्रभाव
को प्रत्यक्ष देखा था, और
देखकर भी अनुभूति न
हुई इसलिए भोक्ता नहीं बन सका।
फिर एक दिन वहीं
सड़क पर घूमते हुए
एक जले हुए पत्थर
पर एक लंबी उजली
छाया देखी। उसे देखकर विज्ञान
का छात्र रहा लेखक सोचने
लगा कि विस्फोट के
समय कोई वहाँ खड़ा
रहा होगा और विस्फोट
से बिखरे हुए रेडियोधर्मी पदार्थ
की किरणें उसमें रुद्ध हो गई होंगी
और जो आसपास से
आगे बढ़ गईं पत्थर
को झुलसा दिया, अवरुद्ध किरणों ने आदमी को
भाप बनाकर उड़ा दिया होगा।
इस प्रकार समूची ट्रेजडी जैसे पत्थर पर
लिखी गई है।
इस प्रकार लेखक हिरोशिमा के
विस्फोट का भोक्ता बन
गया।
प्रश्न
3.मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार
पर बताइए कि-
1.लेखक
को कौन-सी बातें
लिखने के लिए प्रेरित
करती हैं?
2.किसी
रचनाकार के प्रेरणा स्रोत
किसी दूसरे को कुछ भी
रचने के लिए किस
तरह उत्साहित कर सकते हैं?
उत्तर-
लेखक को यह जानने
की प्रेरणा लिखने के लिए प्रेरित
करती है कि वह
आखिर लिखता क्यों है। यह उसकी
पहली प्रेरणा है। स्पष्ट रूप
से समझना हो तो लेखक
दो कारणों से लिखता है-
1.भीतरी
विवशता से। कभी-कभी
कवि के मन में
ऐसी अनुभूति जाग उठती है
कि वह उसे अभिव्यक्त
करने के लिए व्याकुल
हो उठता है।
2.कभी-कभी वह संपादकों
के आग्रह से, प्रकाशक के
तकाजों से तथा आर्थिक
लाभ के लिए भी
लिखता है। परंतु दूसरा
कारण उसके लिए जरूरी
नहीं है। पहला कारण
अर्थात् मन की व्याकुलता
ही उसके लेखन का
मूल कारण बनती है।
प्रश्न
4.कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के
साथ-साथ बाह्य दबाव
भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये
बाह्य दबाव कौन-कौन
से हो सकते हैं?
उत्तर-
कुछ रचनाकारों की रचनाओं में
स्वयं की अनुभूति से
उत्पन्न विचार होते हैं और
कुछ अनुभवों से प्राप्त विचारों
को लिखा जाता है।
इसके साथ ऐसे कारण
(बाह्य दबाव) भी उपस्थित हो
जाते हैं जिससे लेखक
लिखने के लिए प्रेरित
हो उठता है। ये
बाह्य-दबाव हैं-
1.सामाजिक
परिस्थितियाँ
2.आर्थिक
लाभ की आकांक्षा
3.प्रकाशकों
और संपादकों का पुनः-पुनः
का आग्रह
4.विशिष्ट
के पक्ष में विचारों
को प्रस्तुत करने का दबाव
प्रश्न
5.क्या बाह्य दबाव केवल लेखन
से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित
करते हैं या अन्य
क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों
को भी प्रभावित करते
हैं, कैसे?
उत्तर-
बाहरी दबाव सभी प्रकार
के कलाकारों को प्रेरित करते
हैं। उदाहरणतया अधिकतर अभिनेता, गायक, नर्तक, कलाकार अपने दर्शकों, आयोजकों,
श्रोताओं की माँग पर
कला-प्रदर्शन करते हैं। अमिताभ
बच्चन को बड़े-बड़े
निर्माता-निर्देशक अभिनय करने का आग्रह
न करें तो शायद
अब वे आराम करना
चाहें। इसी प्रकार लता
मंगेशकर भी 50 साल से गाते-गाते थक चुकी
होंगी, अब फिल्म-निर्माता,
संगीतकार और प्रशंसक ही
उन्हें गाने के लिए
बाध्य करते होंगे।
प्रश्न
6.हिरोशिमा पर लिखी कविता
लेखक के अंतः व
बाह्य दोनों दबाव का परिणाम
है, यह आप कैसे
कह सकते हैं?
उत्तर-
हिरोशिमा पर लिखी कविता
हृदय की अनुभूति प्रस्फुटित
होती हुई भावों और
शब्दों में जीवंत हो
उठी है। कवि ने
हिरोशिमा के भयंकर रूप
को देखा था, आहत
लोगों को देखा था।
उसे देखकर लेखक के मन
में उनके प्रति सहानुभूति
तो उत्पन्न हुई होगी। किंतु
उनकी व्यक्तिगत त्रासदी नहीं बनी। जब
पत्थर पर मनुष्य की
काली छाया को
देखा
तो उन्हें अपने हृदय से
अणु-बम के विस्फोट
का प्रतिरूप त्रासदी बनकर मन में
समाने लगा। वही त्रासदी
जीवंत होकर कविता में
परिवर्तित हो गई। इस
तरह हिरोशिमा पर लिखी कविता
अंतः दबाव का परिणाम
थी।
बाह्य
दबाव मात्र इतना हो सकता
कि जापान से लौटने पर
लेखक ने अभी तक
कुछ नहीं लिखा? वह
इससे प्रभावित हुआ होगा और
कविता लिख दिया होगा।
प्रश्न
7.हिरोशिमा की घटना विज्ञान
का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि
में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ किस तरह
से हो रहा है।
उत्तर-
विज्ञान का दुरुपयोग निम्न
स्थानों पर इस प्रकार
हो रहा है-
1.विज्ञान
द्वारा प्रदत सुख साधनों से
मानव भोगवादी व आलसी होता
जा रहा है।
2.मशीनों
के कारण गृह उद्योग
धंधे समाप्त हो गए हैं।
3.देश
में बेरोजगारी व बेकारी बढ़ती
जा रही है।
4.आंतरिक
रूप से एक राष्ट्र
दूसरे राष्ट्र को आतंकित व
भयभीत रखने की तैयारी
कर रहा है।
प्रश्न
8.एक संवेदनशील युवा नागरिक की
हैसियत से विज्ञान का
दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या
भूमिका है?
उत्तर-
एक संवेदनशील युवा नागरिक होने
के कारण विज्ञान का
दुरुपयोग रोकने के लिए हमारी
भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसके लिए
निम्नलिखित कार्य करते हुए मैं
अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकता हूँ-
1.प्रदूषण
फैलाने तथा बढ़ाने वाले
उत्तरदायी कारकों प्लास्टिक, कूड़ा-कचरा आदि के
बारे में लोगों को
जागरूक बनाने के साथ-साथ
लोगों से अनुरोध करूंगा
कि पर्यावरण के लिए हानिकारक
वस्तुओं का उपयोग न
करें ।
2.विज्ञान
के बनाए हथियारों का
प्रयोग यथासंभव मानवता की भलाई के
लिए ही करें, मनुष्यों
के विनाश के लिए नहीं।
3.विज्ञान
की चिकित्सीय खोज का दुरुपयोग
कर लोग प्रसवपूर्ण संतान
के लिंग की जानकारी
कर लेते हैं और
कन्या शिशु की भ्रूण-हत्या कर देते हैं
जिससे सामाजिक विषमता तथा लिंगानुपात में
असमानता आती है। इस
बारे में आम जनता
का जागरूक करने का प्रयास
करूंगा।
4.टी.वी. पर प्रसारित
अश्लील कार्यक्रमों का खुलकर विरोध
करूँगा और समाजोपयोगी कार्यक्रमों
के प्रसारण का अनुरोध करूँगा।
5.विज्ञान
अच्छा सेवक किंतु बुरा
स्वामी है। यह बात
लोगों तक फैलाकर इसके
दुरुपयोग के परिणामों को
बताने का प्रयत्न करूंगा।
अन्य
महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न
1.लेखक को कौन-सा
प्रश्न सरल दिखाई देते
हुए भी कठिन लगता
है? और क्यों?
उत्तर-
लेखक के लिए आसान-सा लगने वाला
यह प्रश्न ‘मैं क्यों लिखता
हूँ’ कठिन लगता है
क्योंकि इसका उत्तर इतना
संक्षिप्त नहीं है कि
एक या दो वाक्यों
में बाँधकर सरलता से दिया जा
सके। इसका कारण यह
है कि इस प्रश्न
का सच्चा उत्तर लेखक के आंतरिक
जीवन के स्तरों से
संबंध रखता है।
प्रश्न
2.उन तथ्यों का उल्लेख कीजिए
जो लेखक को लिखने
के लिए प्रेरित करते
हैं?
उत्तर-
लेखक को कुछ लिखने
के लिए प्रेरित करने
वाले तथ्य निम्नलिखित हैं-
अपनी
भीतरी प्रेरणा और विवशता जानने
के लिए लेखक लिखता
है।
किस
बात ने लिखने के
लिए उसे प्रेरित और
विवश किया, यह जानने के
लिए।
मन के दबाव से
मुक्त होने के लिए
लेखक लिखता है।
प्रश्न
3.कभी-कभी बाहरी दबाव
भी भीतरी उन्मेष बन जाते हैं,
कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कई बार लेखक का
मन कुछ लिखने को
नहीं होता है परंतु
प्रकाशक और संपादक का
आग्रह उसे लेखन के
लिए प्रेरित करता है। इसके
अलावा आर्थिक विवशता भी लिखने को
विवश करती है तब
इस तरह से लिखा
गया साहित्य भी आंतरिक अनुभूति
को जगा देता है।
इससे लेखक इन वाहय
दबावों के बिना भी
लिखने को तत्पर हो
जाता है क्योंकि ये
वाय दबाव केवल सहायक
साधना का ही काम
करते हैं, फिर भी
लेखन अच्छा लेखन कर जाता
है।
प्रश्न
4.लेखन में कृतिकार के
स्वभाव और अनुशासन की
महत्ता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
लेखन में कृतिकार के
स्वभाव और अनुशासन दोनों
का ही महत्त्व होता
है क्योंकि कुछ कृतिकार ऐसे
होते हैं जो बाहरी
दबाव के बिना लिख
ही नहीं सकते हैं।
इसी से उनकी भीतरी
विवशता व्याकुलता में बदल पाती
है और लिखने को
विवश होते हैं।
उदाहरणार्थ
: कोई व्यक्ति सवेरे के समय नींद
खुल जाने पर भी
तब तक बिस्तर पर
अलसाया पड़ा रहता है
जब तक कि घड़ी
का अलार्म न बज जाए।
अतः कृतिकार का स्वभावतः अनुशासित
होना आवश्यक है।
प्रश्न
5.हिरोशिमा के बम विस्फोट
में हुई क्षति को
देखकर लेखक को कौन-सी घटना याद
आई?
उत्तर-
हिरोशिमा में अणुबम विस्फोट
से निकली रेडियोधर्मी तरंगों ने असमय असंख्य
लोगों को कालकवलित कर
दिया। लेखक ने उस
विस्फोट का दुख भोगते
हुए लोगों को देखा। यह
देखकर भारत की पूर्वी
सीमा की घटना याद
आ गई कि कैसे
सैनिक ब्रह्मपुत्र में बम फेंककर
हजारों मछलियाँ मार देते थे
जबकि उनका काम थोड़ी-सी मछलियों से
चल सकता था। इससे
जीवों का व्यर्थ ही
विनाश हुआ था।
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