कक्षा-10 पाठ 7- "छाया मत छूना" हिंदी क्षितिज भाग 2 - हिंदी गुरु

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सोमवार, 31 मई 2021

कक्षा-10 पाठ 7- "छाया मत छूना" हिंदी क्षितिज भाग 2


        कक्षा-10 पाठ 7- "छाया मत छूना"                                                                                

 प्रश्न 1. कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

उत्तर-कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यही सत्य है। भूली-बिसरी यादें या भविष्य के सपने मनुष्य को दुखी ही करते हैं, किसी मंजिल तक नहीं ले जाते। वर्तमान का सामना करके ही भविष्य को संवारा जा सकता है।

 प्रश्न 2. भाव स्पष्ट कीजिए -

प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,

हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।

 उत्तर- कवि कहते हैं कि बड़प्पन का अहसास तो मृगमरीचिका के समान है| जिस तरह हिरण रेगिस्तान में पानी की आस में सूर्य की किरणों की चमक को पानी समझकर उसके पीछे भागता है, बड़प्पन का अहसास भी ऐसा ही है| जिस तरह हर चाँदनी रात के बाद आमवस्या की काली रात आती है उसी तरह जीवन में सुख-दुःख भी आते जाते रहते हैं| इस सत्य को हमें स्वीकार करना चाहिए|

प्रश्न 3.‘छायाशब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मनां क्यों किया है?

उत्तर-‘छायाशब्द का प्रयोग कवि ने बीते समय की सुखंद यादों के लिए किया है। ये यादें हमारे मन में उमड़ती-घुमड़ती रहती हैं। कवि इन्हें छूने से इसलिए मना करता है क्योंकि इन यादों से हमारा दुख कम नहीं होता है, इसके विपरीत और भी बढ़ जाता है। हम उन्हीं सुखद यादों की कल्पना में अपना वर्तमान खराब कर लेते हैं।

प्रश्न 4.कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ।।

कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?

उत्तर- कविता में आए विशेषणयुक्त कुछ शब्द और अनेक अर्थ में विशिष्टता-

सुरंग सुधियाँ सुहावनीसुधियाँके लिए प्रयुक्त विशेषण-सुरंग, सुहावनी।

इनके प्रयोग से यादें अधिक मनोहारिणी बन गई हैं।

जीवित क्षण क्षण के लिए प्रयुक्त विशेषणजीवित

इसके प्रयोग से बीते हुए पलों की यादें सजीव हो उठी हैं।

दुविधा-हत साहससाहसके लिए दुविधा-हत विशेषण का प्रयोग।

इसके प्रयोग से साहस के कुंठित होने का भाव प्रकट हुआ है।

दुख दूनादुखके लिए दूनाविशेषण का प्रयोग।

दुख की मात्रा दो गुनी बताने का भाव।

एक रात कृष्णारातके लिए एक औरकृष्णाविशेषण का प्रयोग।

रातकीकालिमा की गहनताकी अभिव्यक्ति प्रकट हो रही है।

प्रश्न 5.‘मृगतृष्णाकिसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?

उत्तर- मई-जून महीने की चिलचिलाती गरमी में रेगिस्तान में दूर से चमकती रेत पानी का भ्रम पैदा करती है। गरमी में प्यास से बेहाल मृग उसी चमक को पानी समझकर उसके पास दौड़कर जाता है और निराश होता है। वहाँ से उसे कुछ दूर पर यही चमक फिर पानी का भ्रम पैदा करती है और वह रेगिस्तान में इधर-उधर भटकता-फिरता है। इस कविता में इसका प्रयोग बड़प्पन के अहसास के लिए किया गया है जिसके पीछे मनुष्य आजीवन भागता-फिरता है।

 

प्रश्न 6.‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेयह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?

उत्तर-‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेका भाव कविता की निम्न पंक्ति में व्यक्त हुआ है।

जो मिला भूल उसे कर भविष्य का वरण

प्रश्न 7.कविता में व्यक्त दुख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘छाया मत छूनाकविता में दुख के कई कारण बताए गए हैं; जैसे

 

1.बीते सुखमय दिनों की यादें जिनकी याद हमें वर्तमान में दुखी बनाती है।

2.बीते समय की असफलता, जिनकी याद कर हम दुखी होते हैं।

3.धन, यश और बड़प्पन की चाहत जिसे पाने के लिए मनुष्य यहाँ-वहाँ भटकता रहता है।

4.वर्तमान के कठिन यथार्थ को स्वीकार कर पाने और उनसे पलायन की प्रवृत्ति से भी मनुष्य दुखी होता है।

5.उचित अवसर पर सफलता मिलने पर भी मनुष्य दुखी होता है।

 

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.‘जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी, से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियाँ संजो रखी हैं?

उत्तर-छात्र अपने जीवन की मधुर स्मृतियों (सुरंग सुधियों) के बारे में स्वयं लिखें।

 

प्रश्न 9.‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर- कवि भले ही ऐसा मानता हो कि समय बीत जाने पर उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है परंतु समय पर मिलने वाली उपलब्धि का आनंद कुछ और ही होता है। यदि परिश्रम के तुरंत बाद सफलता और दिनभर के परिश्रम के बाद मजदूरी नहीं मिलती है तो मन में निराशा जन्मती है। इसके विपरीत समय पर मिलने वाली सफलता से मन उत्साहित होता है। इससे भविष्य के प्रति आशावादी दृष्टिकोण विकसित होता है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.कवि ‘छाया’ छूने से क्यों मना करता है?

उत्तर- कवि ‘छाया’ छूने के लिए इसलिए मना करता है क्योंकि ‘छाया’ से कवि का तात्पर्य बीते हुए सुखमय दिनों से है। इन सुखमय दिनों को याद करने से वर्तमान के दुख कम नहीं होते हैं, उलटे बढ़ और जाते हैं। ये बीते सुखमय दिन तो लौटकर आते नहीं, उन्हें याद करने से क्या फायदा मिलता है।

प्रश्न 2.कवि के जीवन की कौन-सी यादें उसे दुखी कर रही हैं?

उत्तर- कवि के जीवन में अनेक रंग-बिरंगी और सुंदर यादें हैं जो समय-समय पर उसे गुदगुदा जाती हैं। उन यादों के माध्यम से बने चित्रों की सुगंध मनभावनी महसूस हो रही है। ये यादें और इन यादों की सुगंध अब वैसी नहीं रही। उसका समय अब उतना सुखद नहीं रहा। अतः कवि इन यादों से दुख महसूस कर रहा है।

प्रश्न 3.‘भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर- ‘भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण’ से कवि का आशय है-कवि के द्वारा अपनी प्रिया के साथ बिताए पलों को भूलकर भी याद कर लेने से वे पल चलचित्र की भाँति सजीव होकर आँखों के सामने घूम जाते हैं। इन दृश्यों की क्रमिक याद आने से कवि का दुख बढ़ जाता है।

प्रश्न 4.‘जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर- ‘जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया’ के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि यश, वैभव और मान-सम्मान, प्रतिष्ठा जैसा कुछ नहीं है। ये भौतिक वस्तुएँ छलावा मात्र हैं। इनको पाने के लिए व्यक्ति जितना ही भागता है उतना ही भ्रमित होता है क्योंकि उसके हाथ कुछ नहीं लगता है। इन भौतिक वस्तुओं को पाने के लिए भ्रमित रहता है।

प्रश्न 5.‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है’ पंक्ति में कवि हमें किस यथार्थ एवं सत्य से अवगत कराना चाहता है?

उत्तर- ‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है’ पंक्ति के माध्यम से कवि हमें यह बताना चाहता है कि जिस प्रकार हर चाँदनी रात के बाद अमावस्या की रात अवश्य ही आती है उसी प्रकार मानव जीवन में सुख के बाद दुख का आना अवश्यंभावी होता है। अतः मनुष्य को सुख के बाद दुख सहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

प्रश्न 6.कविता में यथार्थ स्वीकारने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर- ‘छाया मत छूना’ कविता में यथार्थ को स्वीकारने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि वर्तमान का यथार्थ ही सत्य होता है। भूतकाल की बातें बनकर रह जाती हैं और भविष्य के बारे में कुछ ज्ञान नहीं होता है। अच्छे भविष्य के बारे में सोचते रहना कल्याण करना है। यथार्थ से ही हमारा जीवन चलता है। ये यथार्थ हमारे साहस और धैर्य की परीक्षा लेते हैं तथा जीवन पथ को सुगम बनाते हैं।

प्रश्न 7. प्रभुता की कामना को मृगतृष्णा क्यों कहा गया है?

उत्तर- प्रभुता की कामना को मृगतृष्णा इसलिए कहा गया है क्योंकि जिस तरह रेगिस्तान में भीषण गरमी में दूर चमकती रेत देखकर हिरन को पानी का भ्रम होता है, वह भागकर उसके पास जाता है, परंतु उसे निराश होना पड़ता है। उसी प्रकार प्रभुता या बड़प्पन का अहसास एक भ्रम है, जिसके पीछे व्यक्ति आजीवन भागता रहता है परंतु हासिल कुछ नहीं होता है।

प्रश्न 8. छाया मत छूना’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर- ‘छाया मत छूना’ कविता के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि जीवन में सुख और दुख दोनों आते-जाते रहते हैं। विगत समय के सुख को याद करके वर्तमान के दुख को बढ़ा लेना अनुचित है। विगत की सुखद काल्पनिकता से जुड़े रहना और वर्तमान के यथार्थ से भागने की अपेक्षा उसकी स्वीकारोक्ति श्रेयकर है। यह कविता अतीत की यादों को भूलकर वर्तमान का सामना करने एवं भविष्य के वरण का संदेश देती है।

वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें...

https://youtu.be/hxGnxyVe6sE

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