कक्षा-10 पाठ-11- बालगोबिन भगत - हिंदी गुरु

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गुरुवार, 10 जून 2021

कक्षा-10 पाठ-11- बालगोबिन भगत


              कक्षा-10 पाठ-11- बालगोबिन भगत

 

प्रश्न 1. खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

उत्तर- बालगोबिन भगत एक गृहस्थ थे परन्तु उनमें साधु कहलाने वाले गुण भी थे -

1. कबीर के आर्दशों पर चलते थे, उन्हीं के गीत गाते थे।

2. कभी झूठ नहीं बोलते थे, खरा व्यवहार रखते थे।

3. किसी से भी दो-टूक बात करने में संकोच नहीं करते, किसी से झगड़ा करते थे।

4. किसी की चीज़ नहीं छूते थे ही बिना पूछे व्यवहार में लाते थे।

5. कुछ खेत में पैदा होता, सिर पर लादकर पहले उसे कबीरपंथी मठ में ले जाते, वहाँ से जो कुछ भी भेंट स्वरुप मिलता था उसे प्रसाद स्वरुप घर ले जाते थे।

6. उनमें लालच बिल्कुल भी नहीं था।

 

प्रश्न 2. भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

उत्तर- भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहती थी क्योंकि भगत के बुढ़ापे का वह एकमात्र सहारा थी। उसके चले जाने के बाद भगत की देखभाल करने वाला और कोई नहीं था।

 

प्रश्न 3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?

उत्तर- भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर औरों की तरह शोक और मातम नहीं मानाया। वे मृत बेटे के सामने बैठकर मस्ती और तल्लीनता में कबीर के पद गाते रहे। वे मृत्यु को आत्मा-परमात्मा का मिलन मानकर इससे दुखी होने के बजाय खुश होने का समय मान रहे थे। वे अपनी पुत्रवधू को भी आनंदोत्सव मनाने के लिए कहते जा रहे थे।

 

प्रश्न 4.भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा को अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत साठ वर्ष से अधिक उम्र वाले गोरे-चिट्टे इंसान थे। उनके बाल सफ़ेद हो चुके थे। उनका चेहरा सफ़ेद बालों से जगमगाता रहता था। कपड़ों के नाम पर उनके शरीर पर एक लँगोटी और सिर पर कनफटी टोपी धारण करते थे बालगोबिन भगत और गले में तुलसी की बेडौल माला पहने रहते थे। उनके माथे पर रामानंदी टीका सुशोभित होता था। सरदियों में वे काली कमली ओढ़े रहते थे।

 

प्रश्न 5.बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

उत्तर- बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के लिए कुतूहल का कारण थी। वे अत्यंत सादगी, सरलता और नि:स्वार्थ भाव से जीवन जीते थे। उनके पास जो कुछ था, उसी में काम चलाया करते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे उपयोग में लाते थे। इस नियम का वे इतना बारीकी से पालन करते कि दूसरे के खेत में शौच के लिए भी बैठते थे। इसके अलावा दाँत किटकिटा देने वाली सरदियों की भोर में खुले आसमान के नीचे पोखरे पर बैठकर गाना, उससे पहले दो कोस जाकर नदी स्नान करने जैसे कार्य लोगों के आश्चर्य का कारण थी।

 

प्रश्न 6.पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- भगत जी कबीर के गीत गाते थे। वे बहुत मस्ती से गाया करते थे।कबीर के पद उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते थे  उनका स्वर बहुत मधुर था। उनके गीत सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें उस गीत को गुनगुनाने लगतीं थी। उनके गीत का मनमोहक प्रभाव सारे वातावरण में छा जाता था।

 

प्रश्न 7.कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। यह पाठ के निम्नलिखित मार्मिक प्रसंगों से ज्ञात होता

 

1.भगत ने अपने इकलौते पुत्र के निधन पर शोक मनाया और उसके क्रिया-कर्म को ज्यादा तूल दिया।

2.उन्होंने पुत्र केशव को स्वयं मुखाग्नि देकर अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवायी।

3.उन्होंने विधवा विवाह के समर्थन में कदम उठाते हुए उन्होंने पुत्र वधू के भाई से कहा कि इसको साथ ले जाकर दुबारा विवाह करवा देना।

4.वे गृहस्थों के भिक्षा माँगने का विरोध करते हुए तीस कोस दूर गंगा स्नान करने जाते और उपवास रखते हुए यह यात्रा पूरी करते थे।

5. बालगोबिन भगत उन प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, जो उनकी कसौटी पर खरी नहीं उतरती थी।

 

प्रश्न 8.धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह झंकृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- आषाढ़ महीने की रिमझिम के बीच सारा गाँव खेतों में उमड़ पड़ा है। शीतल पुरवाई चल रही है। आसमान बादलों से आच्छादित है। कहीं हल चल रहे हैं कहीं रोपनी हो रही है। बच्चे पानी भरे खेत में खेल रहे हैं। औरतें कलेवा लिए मेंड़ पर बैठी हैं। इसी समय भगत का कंठ फूट पड़ता है और उनके स्वरों की गूंज आसपास के लोगों को झूमने के लिए विवशकर देती है। इसे सुनकर बच्चे झूमने लगते हैं, स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते हैं और गीत की लय-ताल पर अँगुलियाँ रोपाई करने लगती हैं तथा कदम उठने लगते हैं।

 

रचना और अभिव्यक्ति

 

प्रश्न 9.पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?

उत्तर- बालगोबिनभगत का पहनावा और आचरण कबीर पंथियों जैसा था। वे कबीर को साहब मानते थे और उनसे असीम श्रद्धा और विश्वास रखते थे। कबीर के प्रति उनकी श्रद्धा निम्नलिखित रूपों में प्रकट हुई है

 

1.उनका पहनावा कबीर पंथियों जैसा था।

2.उनके गले में तुलसी की माला और मस्तक पर रामानंदी टीका होता है।

3.वे अपने खेत की सारी उपज कबीरपंथी मठ पर ले जाकर चढ़ावे के रूप में अर्पित कर देते थे और जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता उसी से घर चलाते।

4.वे कबीर के समान खरा-खरा व्यवहार करते और दूसरे की वस्तु अस्पृश्य समझते।

5.उन्होंने कबीर के पदों का गायन करते हुए द्रिन बिताया।

6.उन्होंने आत्मा को परमात्मा का अंश मानकर मृत्यु को दोनों के मिलन का शुभ अवसर बताया। उन्होंने कबीर की भाँति जीवन को नश्वर बताया।

 

प्रश्न 10.आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?

उत्तर- मेरी दृष्टि में भगत की कबीर पर श्रद्धा के अनेक कारण रहे होंगे

 

1.कबीर भी घर-परिवार के साथ रहते हुए साधुओं जैसा जीवन बिताते थे।

2.कबीर का आडंबर से रहित सादा जीवन

3.कबीरदास कासादा जीवन उच्च विचार

4. सामाजिक कुरीतियों का प्रबल विरोध

5.ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम

 

प्रश्न 11. गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?

उत्तर- आषाढ़ की रिमझिम बारिश में भगत जी अपने मधुर गीतों को गुनगुनाकर खेती करते हैं। उनके इन गीतों के प्रभाव से संपूर्ण सृष्टि रम जाती है, स्त्रियोँ भी इससे प्रभावित होकर गाने लगती हैं। इसी लिए गाँव का परिवेश उल्लास से भर जाता है।

 

प्रश्न 12. "ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।" क्या 'साधु' की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यहसुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति 'साधु' है?

उत्तर- एक साधु की पहचान उसके पहनावे से नहीं बल्कि उसके अचार - व्यवहार तथा उसकी जीवन प्रणाली पर आधारित होती है। यदि व्यक्ति का आचरण सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, त्याग, लोक-कल्याण आदि से युक्त है, तभी वह साधु है। साधु का जीवन सात्विक होता है। उसका जीवन भोग-विलास की छाया से भी दूर होता है।  उसके मन में केवल इश्वर के प्रति सच्ची भक्ति होती है।

 

प्रश्न 13.मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?

उत्तर- यह नि:संदेह सत्य है कि मोह और प्रेम में अंतर होता है, इसे भगत के जीवन की इन दो घटनाओं के आधार पर सत्य सिद्ध किया जा सकता है

 

1. वे अपने पुत्र बधू से कहने लगे कि तुम रो मत, बल्कि उत्सव मनाओ। इस समय उसकी मृत्यु पर आत्मा-परमात्मा का मिलन हो रहा है यह तो अत्याधिक खुशी की बात है।

2.भगत अपने बुढ़ापे में अकेला होने पर भी बहू को उसके भाई के साथ भेज देते हैं। अपने बुढ़ापे से मोह नहीं दिखाते हैं, परंतु बहू से प्रेम करते हुए उसके भाई से उसका पुनर्विवाह करने का आदेश देते हैं।

 

प्रश्न 14. इस पाठ में आए कोई दस क्रिया विशेषण छाँटकर लिखिए और उसके भेद भी बताइए-

उत्तर- शब्द                 क्रियाविशेषण

निकट, ऊपर, नजदीक, - पास    स्थान वाचक

नहीं, लगातार       -         रीतिवाचक

कम, ज्यादा        -         परिणाम वाचक

सदा, देर          -         कालवाचक

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