हिंदी साहित्य के
इतिहास को 4 भाग मैं बांटा गया है
(1):- वीरगाथा काल - -1050 से 1375 तक
(2):- भक्ति काल - -1375 से 1700 तक
(3):- रीतिकाल - -1700 से 1900 तक
(4):- आधुनिक काल - -1900 से अब तक
(1):- वीरगाथा काल - -1050 से 1375 तक
इस काल को हिंदी का आरंभिक काल होने के
कारण इसे आदिकाल कहा गया है। इस काल में
वीरों
की जीवन गाथा पर आधारित कविताओं की रचना की
है‚ इस कारण इसे वीरगाथा काल
कहा जाता
है।
वीरगाथा काल की
विशेषताएं -
(1)इस काल में वीर
रस की रचनाएं लिखी गई है।
(2) इस काल में
युद्धों का सजीव चित्रण किया गया है।
(3) इस काल में आश्रय
दाताओं की प्रशंसा की गई है।
(4) इस काल में
ऐतिहासिक घटनाओं का चित्रण किया गया है।
वीरगाथा काल के
कवि एवं उनकी एक एक रचना-
कवि रचनाएं
चंदबरदाई पृथ्वीराज रासो
नरपति बीसलदेव रासो
जगनिक परमाल रासो
शारंगधर हमीर रासो
दलपत विजय खुमान रासो
(2) भक्ति काल -1375 से 1700
भारत पर मुगल
शासन स्थापित होने के कारण हर जगह युद्ध होने लगे और राजनैतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक क्षेत्रों में संकट के बादल छाने लगे । उसे नष्ट करने के लिए भक्तिकाल का उदय हुआ। समाज को उबारने के लिए संतों और कवियों ने
भक्ति की कविताएं लिखी और ईश्वर को ही एकमात्र सहारा बताया, इसीलिए भक्ति काल को हिंदी साहित्य स्वर्ण युग भी कहा जाता
है।
भक्ति काल का विभाजन निम्न
प्रकार है−
सगुण धारा निर्गुण धारा
(ईश्वर के साकार
रूप की लीलाओं का वर्णन किया।) (ईश्वर के निराकार रूप की लीलाओं का वर्णन किया
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1. राम भक्ति शाखा−
(राम को आदर्श
मानकर रचना की है)
गोस्वामी
तुलसीदास - रामचरितमानस
2. कृष्ण भक्ति शाखा−
(कृष्णा को आदर्श
मानकर रचना की है)
सूरदास - सूरसागर
निर्गुण
धारा−
1. ज्ञानश्री शाखा−
(ज्ञान को ईश्वर
प्राप्ति का साधन माना है)
कबीर दास - बीजक
2. प्रेमाश्री शाखा−
(प्रेम को ईश्वर
प्राप्ति का साधन माना है)
मलिक मोहम्मद
जायसी - पद्मावत
भक्ति काल की विशेषताएं−
1 - इस काल में साकार
एवं निराकार ब्रह्म की उपासना की है।
2 - इस काल में
रहस्यवादी कविता का प्रारंभ हुआ।
3 - इस काल में आध्यात्मिकता
की प्रेरणा मिली।
4 - इस काल में समस्त
काव्य शैलियों का प्रयोग हुआ।
(2):-
रीतिकाल 1700 से 1900
विशिष्ट पद रचना को रीति कहते हैं। रिति काव्य वह काव्य है, जो लक्षण के आधार को ध्यान में रखकर रचा जाता है।
रीतिकाल की
विशेषताएं−
(1) इस काल में
सांसारिक सुख की प्रधानता रही है।
(2) इस काल में
मुक्तक काव्य की रचना हुई।
(3) इस काल में
कविताएं ब्रज भाषा में लिखी गई है।
(4) इस काल में वीर
और श्रंगार रस की प्रधानता रही है।
रीतिकाल के
प्रमुख कवि एवं उनकी एक−एक रचनाएं−
कवि रचनाएं
केशवदास रामचंद्रिका
भूषण शिवराज भूषण
बिहारी बिहारी सतसई
घनानंद सुजान सागर
पद्माकर जगत विनोद
(3)आधुनिक
काल−1900 - अब तक
इस काल में धर्म-दर्शन
कला एवं साहित्य के प्रति नए का उदय हुआ।
इस काल को 6 भागों में बांटा गया है।
1.
भारतेंदु
युग:- इस युग को हिंदी साहित्य
का प्रारंभिक युग कहा जाता है।
विशेषताएं− 1 -इस युग में देशभक्ति और राज भक्ति की कविताएं लिखी गई।
2 - इस युग में ब्रज
भाषा का प्रयोग किया गया।
3 - इस युग में
अंधविश्वास एवं सामाजिक रूढ़ियों को दूर किया गया।
4 - इस युग में
अंग्रेजी शिक्षा का विरोध किया गया।
कवि रचनाएं
1. भारतेंदु
हरिश्चंद्र प्रेम सरोवर, प्रेम फुलवारी
2. प्रताप नारायण
मिश्र प्रेम पुष्पाबली, मन की लहर
3. राधाचरण
गोस्वामी नवभक्त माला
4. बद्रीनारायण
चौधरी लालित्य लहरी
2.
द्विवेदी युग:- इस युग में सरस्वती पत्रिका के माध्यम से
नवजागरण का संदेश जन-जन जाया गया।
विशेषताएं−
1. देशभक्ति पर
आधारित कविताएं लिखी गई।
2. प्रकृति चित्रण
पर आधारित कविताएं लिखी गई।
3. खड़ी बोली का
प्रयोग किया गया।
4. अंधविश्वास और
रूढ़ियों का विरोध किया गया।
कवि रचनाएं
1. महावीर प्रसाद
द्विवेदी
काव्य मंजूषा, सुमन
2. मैथिलीशरण
गुप्त पंचवटी,
साकेत
3. लखन लाल
चतुर्वेदी
हिमतरंगिनी, युग चरण
4. रामनरेश
त्रिपाठी मिलन,
पथिक
3. छायावादी
युग:-
विशेषताएं:-
1. व्यक्तिवादी
प्रधानता
2. श्रंगार की
भावना
3. प्राकृतिक
चित्रण
4. अज्ञात सत्ता से
प्रेम
कवि रचना
1. जयशंकर प्रसाद-
कामायनी
2. सूर्यकांत
त्रिपाठी निराला- परिमल
3. सुमित्रानंदन
पंत- पल्लव, गुंजन
4. महादेवी वर्मा-
निहार, नीरजा
4. प्रगतिवादी
युग:-
विशेषताएं:-
1. शोषित के प्रति
सहानुभूति
2. ईश्वर के प्रति
अनास्था
3. आर्थिक और
सामाजिक समानता पर बल
4. नारी शोषण के
विरुद्ध मुक्ति का स्वर
कवि रचनाएं
नागार्जुन-
युगधारा
केदारनाथ
अग्रवाल- युग की गंगा
शिवमंगल सिंह
सुमन- हिल्लोल
त्रिलोचन- धरती
5. प्रयोगवाद युग:-
विशेषताएं-
1. नवीन उपमानो का
प्रयोग
2. प्रेम भावनाओं
का खुला चित्रण
3. रूढ़िवाद के
प्रति विद्रोह
4. अहंकार की भावना
का समावेश
कवि रचनाएं
मुक्तिबोध- चांद
का मुंह टेढ़ा है
धर्मवीर- अंधा
युग
सर्वेश दयाल
सक्सेना- बांस के फूल
गिरिजाकुमार
माथुर- धूप के धान
6. नई कविता:-
विशेषताएं:-
1. लघु मानववाद की
प्रतिष्ठा
2. प्रयोगों में
नवीनता
3. व्यंग प्रधान
कविताएं
4. क्षणवाद को
महत्व
कवि रचनाएं
भवानी प्रसाद
मिश्र- सन्नाटा
कुंवर नारायण-
चक्रव्यूह
दुष्यंत कुमार-
सूर्य का स्वागत
नरेश मेहता-
उत्सव
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