मेरे बचपन के दिन
प्रश्न 1. ‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि-
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
उत्तर- (क)उस समय, अर्थात् सन् 1900 के आसपास जिस समय महादेवी वर्मा का जन्म हुआ उस समय लड़कियों की दशा अच्छी नहीं थी। परिवार में लड़कियों को भार माना जाता था, उनके प्रति उपेक्षा का व्यवहार होता था। लड़कियों को बड़े कष्ट में जीना पड़ता था। उनकी शिक्षा-दीक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता था।
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर- (ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज वे परिस्थितियां नहीं हैं जो पहले थी। समाज की सोच में बहुत बदलाव आया है। अब लड़का और लड़की में भेदभाव की स्थिति वह नहीं है जो पहले थी। आज लड़कियों को भी शिक्षा दिलाई जाती है। लड़कियां रोजगार करती हैं, नौकरी भी करती हैं। उनके प्रति अच्छा व्यवहार होता है।
प्रश्न 2. लेख़िका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाईं ?
उत्तर- लेखिका उर्दू-फ़ारसी इसलिए नहीं सीख पाई क्योंकि लेखिका की रुचि उर्दू-फ़ारसी में नहीं थी। उसे लगता था कि वह उर्दू-फ़ारसी नहीं सीख सकती है। उसे उर्दू-फ़ारसी पढ़ाने के लिए जब मौलवी साहब आते थे तब वह चारपाई के नीचे छिप जाती थी। मौलवी साहब ने पढ़ाने आना बंद कर दिया और वह उर्दू-फ़ारसी नहीं सीख पाई।
प्रश्न 3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर- लेखिका ने अपनी माँ के हिंदी-प्रेम और लेखन-गायन के शौक का वर्णन किया है। वे हिंदी तथा संस्कृत जानती थीं। इसलिए इन दोनों भाषाओं का प्रभाव महादेवी पर भी पड़ा। महादेवी की माता धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। वे पूजा-पाठ किया करती थीं। सवेरे ‘कृपानिधान पंछी बन बोले’ पद गाती थीं। प्रभाती गाती थीं। शाम को मीरा के पद गाती थीं। वे लिखा भी करती थीं।
प्रश्न 4. जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर- जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्ने जैसा इसलिए कहा है क्योंकि जवारा के नवाब और लेखिका का परिवार अलग-अलग धर्म-के होकर भी आत्मीय संबंध रखते थे। उनमें भाषा और जाति की दीवार बाधक न थी। दोनों परिवार एक-दूसरे के परिवारों को मिल-जुलकर मनाते थे। वे एक-दूसरे को यथोचित संबंधों की डोर से बाँधे हुए थे। वे चाची, ताई, देवर, दुलहन जैसे आत्मीयता भरे रिश्तों से जुड़े थे। ऐसा वर्तमान में दुर्लभ हो गया है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5. जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थीं। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर- जेबुन्निसा के स्थान पर अगर मैं महादेवी के लिए कुछ काम करती तो मैं संबंधों के आधार पर उनसे अपेक्षा करती। अगर मैं नौकरानी के रूप में उनकी सहायता करती, तो उनसे मजदूरी के साथ-साथ प्रेम और आदर की भी अपेक्षा करती। अगर सखी के रूप में उनकी सहायता करती तो बस उनसे प्रेम और स्नेह चाहती। यदि उनकी प्रशंसिका या कनिष्ठ साथिन के रूप में सहायता करती तो कभी-कभी उनसे कविता भी सुन लेती तथा पढ़ाई में सहायता ले लेती।
प्रश्न 6. महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर मुझे चाँदी के कटोरे जैसा कीमती पुरस्कार मिला हो और देशहित की बात आए तो मैं ऐसे पुरस्कार को खुशी-खुशी देता क्योंकि देश के हित से बड़ा कुछ नहीं। देश के हित में ही देशवासियों का हित निहित होता है। ऐसा करके मुझे दूनी खुशी प्राप्त होती और मैं गौरवान्वित महसूस करती।
प्रश्न 7. महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर- हमारे विद्यालय में गणतंत्र दिवस की पूर्ण संध्या पर ही गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा था। उसमें मुझे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता ‘हम जंग न होने देंगे’ का पाठ करना था। मैंने अपने हिंदी अध्यापक की देख-रेख में इसका अभ्यास तो किया था पर मन में भय-सा बना था। वैसे भी विद्यालय के सदस्यों और छात्र-छात्राओं के बीच इस तरह कविता पढ़ने का मेरा पहला अवसर था। कार्यक्रम शुरू होने पर जब उद्घोषक कोई नाम बुलाती तो दिल धड़क उठता। जब मेरा नाम बुलाया गया तो काँपते पैरों से मंच पर गया। पहली दो लाइनें पढ़ते ही आत्मविश्वास जाग उठा। फिर जब कविता पूरी की तो हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मुझे एक सुखद अनुभूति हो रही थी।
प्रश्न 8. महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर- 26 जनवरी, 20–
आज विद्यालय में गणतंत्र दिवस का आयोजन है। सभी छात्र-छात्राओं के अतिरिक्त सैकड़ों अतिथि भी मंडप में पधारे हैं। सामने मेरे माता-पिता तथा अनेक परिचित जन बैठे हैं। मैं मंच के पीछे अपनी बारी की प्रतीक्षा में बैठी हूँ। मुझे कविता बोलनी है। हालाँकि मैंने पहले भी मंच पर कविता बोली है, परंतु जाने क्यों, आज मेरा दिल धक्-धक् कर रहा है। मेरे शरीर में हरकत हो रही है। जैसे-जैसे मेरे बोलने का समय निकट आ रहा है, मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही है। अब मैं न तो मंच का कोई कार्यक्रम सुन पा रही हूँ, न और किसी की बात सुन रही हूँ। मेरा सारा ध्यान अपना नाम सुनने में लगा है। डर भी लग रहा है कि कहीं मैं कविता भूल न जाऊँ। इसलिए मैंने लिखित कविता हाथ में ले ली है। यदि भूलने लगूंगी तो इसका सहारा ले लूंगी। लो, मेरा नाम बुल चुका है। मैं स्वयं को सँभाल रही हूँ। मेरे कदमों में आत्मविश्वास आ गया है। अब मैं नहीं भूलूंगी।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 10. पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए-
विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर-
शब्द - विलोम शब्द
विद्वान - मूर्ख
अनंत - अंत
निरअपराधी - अपराधी
दंड - पुरस्कार
शांति - अशांति
प्रश्न 11. निम्नलिखित शब्दों से
उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-
निराहारी,सांप्रदायिकता,अप्रसन्नता,अपनापन,किनारीदार,स्वतंत्रता
उत्तर-
उपसर्ग
प्रत्यय
मूल शब्द
निराहारी –
निऱ
ई
आहार
सांप्रदायिकता – x
इक, ता
संप्रदाय
अप्रसन्नता – अ
ता
प्रसन्न
अपनापन –
x
पन
अपना
किनारीदार –
x दार
किनारी
स्वतंत्रता –
स्व
ता
तंत्र।
प्रश्न 12. निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की
सहायता से दो-दो शब्द लिखिए-
उपसर्ग – अन्, अ, सत्, स्व, दुर्
प्रत्यय – दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर- उपसर्ग- निर्मित शब्द
अन-
अनावश्यक, अनापत्ति
अ-
अपठित, अप्रसन्न
सत-
सत्साहित्य, सत्संग
स्व- स्वाधीन, स्वतंत्र
दूर- दुर्व्यवहार, दुराचार
प्रत्यय- निर्मित शब्द
दार- किराएदार, दुकानदार
हार- होनहार, खेवनहार
वाला- फल
वाला, घरवाला
अनीय- स्थानीय, रमणीय
प्रश्न 13. पाठ में आए
सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए-
पूजा-पाठ पूजा और पाठ
उत्तर- सामासिक पद विग्रह
पूजा पाठ - पूजा और
पाठ
दुर्गा पूजा - दुर्गा की
पूजा
कुलदेवी - कुल की देवी
कृपा निधान - कृपा के
निदान
कवि सम्मेलन - कवियों का
सम्मेलन
छात्रावास - छात्रों का
आवास
मिली जुली - मिली और
जूली
जेब खर्च - जेब के
खर्च
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