उत्तर- भारत में जन्म लेने पर विवेकानंद जी को इसलिए अभिमान है क्योंकि इस देश में सभी धर्मों एवं देशों का सम्मान किया जाता है।
प्रश्न-2 शुद्धता, पवित्रता और दयाशीलता के विषय में स्वामी जी ने क्या कहा है?
उत्तर- शुद्धता, पवित्रता और दयाशीलता के विषय में स्वामी जी ने कहा है कि यह बातें किसी संप्रदाय विशेष की एकाधिकार प्राप्त संपत्ति नहीं है।
प्रश्न-3 पृथ्वी हिंसा से क्यों भरती जा रही है? कोई दो कारण दीजिए।
उत्तर- पृथ्वी हिंसा से इसलिए भरती जा रही है कि बहुत समय तक इस पृथ्वी पर सांप्रदायिकता, हठधर्मिता और धर्मांधता ने अपना शासन जमा लिया है। इसके दो प्रमुख कारण हैं - सांप्रदायिकता और हठधर्मिता।
प्रश्न-4 स्वामी जी के अनुसार भारत के लोग दूसरे धर्मों को किस रूप में स्वीकार करते हैं?
उत्तर- स्वामी जी के अनुसार भारत के लोग दूसरे धर्मों को उसी रूप में स्वीकार करते हैं जिस प्रकार समुद्र विभिन्न दिशाओं से आने वाली नदियों को अपने में समा लेता है।
प्रश्न-5 स्वामी जी के अनुसार शीघ्र ही प्रत्येक धर्म की पताका पर क्या लिखा मिलेगा?
उत्तर- स्वामी जी के अनुसार शीघ्र ही प्रत्येक धर्म की पताका पर लिखा मिलेगा "सहायता करो, लड़ो मत।"
प्रश्न-6 विभिन्न धर्मों के संबंध में स्वामी जी ने क्या विचार दिए हैं? लिखिए।
उत्तर- विभिन्न धर्मों के संबंध में स्वामी जी ने कहा है कि जैसे विभिन्न नदियां भिन्न-भिन्न स्रोतों से मिलकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार सभी धर्म परमात्मा में आकर मिल जाते हैं, एक हो जाते हैं।
प्रश्न-7 सांप्रदायिकता, हठधर्मिता और धर्मांधता ने मानवता को क्या हानि पहुंचाई है?
उत्तर- सांप्रदायिकता, हठधर्मिता और धर्मांधता ने मानवता को कलंकित किया है। इन्होंने पृथ्वी पर हिंसा को जन्म दिया है तथा यह मानवता को रक्त से नहलाती रही हैं। इन्होंने सभ्यता को गर्त में डाल दिया है।
प्रश्न-8 लेखक ने बीज के माध्यम से धर्म की किस विशेषता की ओर संकेत किया है?
उत्तर- लेखक ने बीज के माध्यम से धर्म की अच्छाई, सद्गुणों का प्रचार-प्रसार करने, सुख-समृद्धि आने आदि विशेषताओं की ओर संकेत किया है। साथ ही धर्म दूसरे धर्मों की अच्छी बातें ग्रहण करें और अपनी विशेषताओं को बनाए रखें।
प्रश्न-9 मानव समाज की उन्नति में कौन-कौन से बाधक रहे हैं? इन बाधक तत्वों ने कौन-कौन सी दुनिया पहुंचाई है?
उत्तर- मानव समाज की उन्नति में सांप्रदायिकता, हठधर्मिता और धर्मांधता बाधक रहे हैं। इन तत्वों ने पृथ्वी को सदैव हिंसा से भरा है तथा इनके कारण ही मानवता बार-बार रक्त से नहाती रही है। इन्होंने ही सभ्यता को नष्ट किया है और इन्हीं ने देशों को निराशा की गर्त में डाला है।
प्रश्न-10 भारत ने संसार को कौन-सी दो बातों की शिक्षा दी है? विस्तार से लिखिए।
उत्तर- भारत ने संसार को सहिष्णुता एवं सार्वभौमिक स्वीकृति नामक दो शिक्षाएं दी हैं। भारत के लोग अन्य धर्मों को सच्चा मानते हैं उनका आदर सम्मान करते हैं। उनमें सर्वधर्म समभाव की भावना विकसित है। भारत के लोग सभी धर्मों को अच्छा मानकर स्वीकार करते हैं। इस तरह इन सभी बातों की शिक्षा भारत ने समूचे विश्व के राष्ट्रों को सदैव दी है।
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