कक्षा-10 पाठ-17 संस्कृति (हिंदी) क्षितिज भाग-2 - हिंदी गुरु

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शुक्रवार, 18 जून 2021

कक्षा-10 पाठ-17 संस्कृति (हिंदी) क्षितिज भाग-2

                                           पाठ 17 संस्कृति हिंदी

प्रश्न 1.लेखक की दृष्टि मेंसभ्यताऔरसंस्कृतिकी सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?

उत्तर- लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति शब्दों की सही समझ अब तक इसलिए नहीं बन पाई। क्योंकि लोग सभ्यता और संस्कृति शब्दों का प्रयोग तो खूब करते हैं पर वे इनके अर्थ के बारे में भ्रमित रहते हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनका अर्थ अपने-अपने विवेक से लगा लेते हैं। इससे स्पष्ट है कि इन शब्दों के सही अर्थ की समझ अब तक नहीं बन पाई है।

 

प्रश्न 2.आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?

उत्तर- आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज इसलिए मानी जाती है क्योंकि इससे मनुष्य की जीवन शैली और खानपाने में बहुत बदलाव आया। सम्भवत: आग की खोज का मुख्य कारण रौशनी की ज़रुरत तथा पेट की ज्वाला रही होगी। अंधेरे में जब मनुष्य कुछ नहीं देख पा रहा था तब उसे रौशनी की ज़रुरत महसूस हुई होगी, कच्चा माँस का स्वाद अच्छा लगने के कारण उसे पका कर खाने की इच्छा से आग का आविष्कार हुआ होगा।

 

प्रश्न 3.वास्तविक अर्थों मेंसंस्कृत व्यक्तिकिसे कहा जा सकना है?

उत्तर- वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति उसे कहा जा सकता है जो अपना पेट भरा होने तथा तन ढंका होने पर भी निठल्ला नहीं बैठता है। वह अपने विवेक और बुधि से किसी नए तथ्य का दर्शन करता है और समाज को अत्यंत उपयोगी आविष्कार देकर उसकी सभ्यता का मार्ग प्रशस्त करता है। उदाहरणार्थ न्यूटन संस्कृत व्यक्ति था जिसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की।

 

 प्रश्न 4.न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?

उत्तर- न्यूटन ने अपनी बुद्धि -शक्ति से गुरत्वाकर्षण के रहस्य की खोज की इसलिए उसे संस्कृत मानव कह सकते हैं। आज मनुष्य के पास भले ही इस विषय पर अधिक जानकारी होगी पर उसमें वो बुद्धि शक्ति नहीं है जो न्यूटन के पास थी वह केवल न्यूटन द्वारा दी गई जानकारी को बढ़ा रहा है। इसलिए वह न्यूटन से अधिक सभ्य है, संस्कृत नहीं।

 

प्रश्न 5.किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?

उत्तर- सुई-धागे का आविष्कार शरीर को ढ़कने तथा सर्दियों में ठंड से बचने के उद्देश्य से हुआ होगा आवश्यकतानुसार शरीर को सजाने की जरूरत महसूस हुई होगी इसलिए कपड़े के दो टुकडों को एक करके जोड़ने के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा।

 

प्रश्न 6.“मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब

() मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।

() जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।

() मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।

उत्तर-1.वर्ण व्यवस्था के नाम पर मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की जाती हैं।

2. धर्म के नाम पर भी मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की जाती हैं जिसका परिणाम हम हिंदुस्तान तथा पाकिस्तान नामक दो देश के रूप में देखते हैं।

() जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।

उत्तर-1.सिद्धार्थ मानव को सुखी देखने के लिए राजा के सारे सुख छोड़कर ज्ञान प्राप्ति हेतु जंगल की ओर चले गए।

2.कार्ल मार्क्स ने अपना जीवन मजदूरों के हित के लिए संघर्ष किया।

 

प्रश्न 7.आशय स्पष्ट कीजिए-

() मानव की जो योग्यता उससे आत्मविनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति?

उत्तर- संस्कृति का कल्याण की भावना से गहरा नाता है। इसे कल्याण से अलग कर नहीं देखा जा सकता है। यह भावना मनुष्य को मानवता हेतु उपयोगी तथ्यों का आविष्कार करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में कोई व्यक्ति जब आत्मविनाश के साधनों की खोज करता है और उससे आत्मविनाश करता है तब यह असंस्कृति बन जाती है। ऐसी संस्कृति में जब कल्याण की भावना नहीं होती है तब वह असंस्कृति का रूप ले लेती है।

 

प्रश्न 8.लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में। क्या सोचते हैं, लिखिए।

उत्तर- लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की निम्नलिखित परिभाषा दी गई है।

संस्कृति संस्कृत मानव द्वारा किया गया ऐसा कोई आविष्कार या नए तथ्य का ज्ञान, जो मनुष्य के लिए कल्याणकारी होता है, उसे संस्कृति कहते हैं। संस्कृति त्याग की भावना से मजबूत एवं समृद्ध होती है। संस्कृति का संबंध मनुष्य के भीतर (मन) से है।

सभ्यता संस्कृति का परिणाम सभ्यता कहलाता है। हमारे खान-पान का ढंग, जीने-मरने का तरीका, लड़ने-झगड़ने का ढंग, पहनने-ओढ़ने की कला आवागमन के साधन और ढंग सब हमारी सभ्यता है। यह मनुष्य की बाहरी वस्तु है।

 

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

 

प्रश्न 1.संस्कृति का कूड़ा-करकटकिसे कहा गया है?

उत्तर-संस्कृति का कूड़ा-करकट उन सड़ी गली परंपराओं और कुरीतियों को कहा गया है जो समाज के विकास में बाधक सिद्ध होने के साथ ही मानवता हेतु अकल्याणकारी सिद्ध होती है तथा कुछ लोगों को दबाने का प्रयास करती हैं।

 

प्रश्न 2.एक संस्कृत मानव और सभ्य मानव में क्या अंतर है?

उत्तर- एक संस्कृत मानव वह है जो अपने ज्ञान एवं बुधि-विवेक से किसी नए तथ्य का दर्शन और आविष्कार करता है। इसके विपरीत सभ्य मानवे वह है जो इन आविष्कारों का उपयोग करके अपना रहना-सुधारता है और सभ्य बनता है।

 

प्रश्न 3.आग के आविष्कारक को बड़ा आविष्कर्ता क्यों कहा गया है?

उत्तर- आग के आविष्कारक को बड़ा आविष्कारकर्ता इसलिए कहा गया है क्योंकि आग के आविष्कार ने मनुष्य को सभ्य बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इससे एक ओर मनुष्य के पेट की ज्वाला शांत हुई तो दूसरी ओर उसे प्रकाश और ऊष्मा भी मिली।

 

प्रश्न 4.सभ्यता और संस्कृति जैसे शब्द और भी भ्रामक कब बन जाते हैं?

उत्तर- सभ्यता और संस्कृति जैसे शब्द तब और भी भ्रामक बन जाते हैं जब इन शब्दों के साथ आध्यात्मिक, भौतिक विशेषण आदि जुड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति इनका अर्थ गलत-सलत हो जाता है।

 

प्रश्न 5.संस्कृति और सभ्यता क्या हैं?

उत्तर- संस्कृति एक संस्कृत मनुष्य की वह योग्यता प्रेरणा अथवा प्रवृत्ति है जिसके बल पर वह किसी नए तथ्य का दर्शन करता है। इस संस्कृति के द्वारा समाज के लिए कल्याणकारी आविष्कार कर जाता है जो मनुष्य को सभ्य बनने में सहायता करता है वही सभ्यता है। 

इन प्रश्न और उत्तर का वीडियो देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें...

https://youtu.be/Y26E10gq2RY


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