मेरे संग की औरतें
प्रश्न 1. लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?उत्तर- लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं था, किंतु उनके बारे में सुना अवश्य था। उसने सुना था कि उसकी नानी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से भेंट की थी। उस भेट में उन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि वे अपनी बेटी की शादी किसी क्रांतिकारी से करवाना चाहती हैं, अंग्रेजों के किसी भक्त से नहीं। उनकी इस इच्छा में देश की स्वतंत्रता की पवित्र भावना थी। यह भावना बहुत सच्ची थी। इसमें साहस था। इससे उनके साहसी व्यक्तित्व और मन में सुलगती स्वतंत्रता की भावना का पता चला। लेखिका इन्हीं गुणों के कारण उनका सम्मान करती है।
प्रश्न 2. लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर- लेखिका की नानी ने आज़ादी के आंदोलन में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया था, पर आज़ादी के आंदोलन में उनका अप्रत्यक्ष योगदान अवश्य था। उनके मन में आज़ादी के प्रति जुनून था। यद्यपि उनके पति अंग्रेजों के भक्त थे और साहबों के समान रहते थे पर अपनी मृत्यु को निकट देखकर उन्होंने अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा को बुलवाया और स्पष्ट रूप से कह दिया कि उनकी बेटी का वर वे ही अपने समान किसी स्वतंत्रता के दीवाने लड़के को खोज कर दें। इससे उनकी बेटी का विवाह आज़ादी के आंदोलन में भाग लेने वाले उस लड़के से हो सका। इस तरह उसकी नानी ने आज़ादी के आंदोलन में भागीदारी निभाई।
प्रश्न 3. लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में-
(क) लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
(क) लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- (क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काम करती थीं। उनकी सोच मौलिक थी। वह खुद अपने तरीके से आज़ादी के जुनून को निभाती थीं। इस विशेषता के कारण घर-भर के लोग उसका आदर करते थे। कोई उनसे घर गृहस्थी के काम नहीं करवाता था। उनका व्यक्तित्व ऐसा प्रभावी था कि कामों के बारे में उनसे केवल राय ली जाती थी और उस राय को पत्थर की लकीर मानकर निभाया जाता था।
लेखिका की माँ का सारा समय किताबें पढ़ने, साहित्य चर्चा करने और संगीत सुनने में बीतता था। वे कभी बच्चों के साथ लाड़-प्यार भी नहीं करती थीं। वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं। वे एक की गोपनीय बात दूसरे से नहीं कहती थीं।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए। (ख) लेखिका की दादी के घर का माहौल अन्य घरों से भिन्न था। वहां सभी साथ साथ रहते हुए भी अपनी अपनी मर्जी के मालिक थे। किसी पर कोई दबाव नहीं था। इस घर में महिलाओं का आदर सम्मान था। पुत्र वधू पांच बेटियां हुई किंतु किसी को कुछ अस्वाभाविक नहीं लगा। बहू को पूरा सम्मान मिलता था बेटियों को शिक्षा आदि की अच्छी सुविधाएं दी गई थी। घर में लड़का तथा लड़की के प्रति समान व्यवहार था। घर में धार्मिक वातावरण था। दादी रोजाना मंदिर जाती थी। घर में सभी शिक्षित एवं सुसंस्कृत थे । विचित्र बात यह थी कि लेखिका के दादा अंग्रेजों के बड़े प्रशंसक थे। घर में चलती उन्हीं की थी। किंतु घर की नारियाँ अपने-अपने तरीके से जीने के लिए स्वतंत्र थीं। कोई किसी के विकास में बाधा नहीं बनता था।
प्रश्न 4. आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी ?
उत्तर- परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत इसलिए माँगी ताकि वे परंपरा से अलग चलने की जो बात करती थीं, उसे अपने कार्य-व्यवहार द्वारा सबको दर्शा सकें। इसके अलावा उनके मन में लड़का और लड़की में अंतर समझने जैसी कोई बात न रही होगी।
प्रश्न 6. ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’-इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस दिशा में लेखिका ने अथक प्रयास किए। जब वे कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागलकोट में पहुंची तो उन्होंने वहां देखा कि बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल ही नहीं है। छोटे से कस्बे में रहते हुए इस दिशा में सोचना शुरू किया। उसने कैथोलिक विशप से प्रार्थना की कि उनका मिशन वहाँ स्कूल खोल दे पर वे इसके लिए तैयार न हुए। तब लेखिका ने अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ तीन भाषाएँ सिखाने वाला प्राइमरी स्कूल खोला और उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता दिलवाई। इस स्कूल के बच्चे बाद में अच्छे स्कूलों में प्रवेश पा गए।
प्रश्न 7. पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?
उत्तर- 'मेरे संग की औरतें' पाठ के आधार पर कहा जा सकता है कि जो ईमानदार निष्पक्ष और समाज हित में बात सोचने वाले होते हैं लोग उन्हें अधिक श्रद्धा भाव से देखते हैं। जो व्यक्ति किसी गोपनीय बात को दूसरों के सामने उजागर नहीं करते तथा समाज के कल्याण के काम करते लोग उन्हें भी अधिक श्रद्धा भाव से देखते हैं। कभी झूठ बोलने वाले व्यक्तियों के प्रति भी लोगों की श्रद्धा भाव की दृष्टि रहती है। लेखिका की मां में यह सभी बातें थी इसलिए लोग उन्हें श्रद्धा भाव से देखते थे।
प्रश्न 8. ‘सच, अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर- “सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है।” इस कथन के आधार पर ज्ञात होता है कि लेखिका और उसकी बहन दोनों ही अपने दृढ़ निश्चय और जिद्दीपन के कारण उक्त कथन को चरितार्थ ही नहीं करती हैं बल्कि उसका आनंद भी उठाती हैं। लेखिका की बहन रेणु तो लेखिका से भी दो कदम आगे थी। वह गरमी में भी उस गाड़ी में नहीं आती थी जिसे उसके पिता ने स्कूल से उसे लाने के लिए लगवा रखा था। एक बहन गाड़ी में आती थी जबकि रेणु पैदल। इसी तरह शहर में एक बार नौ इंच बारिश होने पर शहर में पानी भरने के कारण घरवालों के मना करते रहने पर भी वह लब-लब करते पानी में स्कूल गई और स्कूल बंद देखकर लौट आई।
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