कृतिका कक्षा-9 अध्याय-3 रीड की हड्डी (एकांकी) के प्रश्न और उत्तर - हिंदी गुरु

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शनिवार, 21 नवंबर 2020

कृतिका कक्षा-9 अध्याय-3 रीड की हड्डी (एकांकी) के प्रश्न और उत्तर

 


                           रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 1. रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात परएक हमारा ज़माना था…” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर- रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों पुराने जमाने के बुजुर्ग हैं। दोनों को वर्तमान जमाने की तुलना में अपना जमाना याद आता है। समय के साथ हर चीज में परिवर्तन होता है। उस परिवर्तन को सहज स्वीकार करना चाहिए। प्रातः लोग चाहते हैं कि जैसा हमारा समय था वैसा ही बना रहे। इसलिए नए परिवर्तन उन्हें अखरने लगते हैं। यदि परिवर्तन नहीं होगा तो प्रकृति रुक जाएगी। इसलिए किसी समय की अपने समय से तुलना करना तर्कसंगत नहीं है। हर समय का अपना महत्व होता है।

प्रश्न 2. रामस्वरूप की अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर-रामस्वरूप लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने के पक्षधर हैं। उन्होंने उमा को कॉलेज की शिक्षा  दिलवाकर बी.. पास करवाया। इसके अलावा उमा को संगीत, कला आदि का भी ज्ञान है। रामस्वरूप चाहते हैं कि उमा की शादी अच्छे परिवार में हो। संयोग से परिवार तो उच्च शिक्षित मिला परंतु उसकी सोच अच्छी थी। लड़के का पिता और स्वयं लड़का दोनों ही चाहते हैं कि उन्हें दसवीं पास लड़की ही चाहिए। एक लड़की का पिता होने के कारण लड़के वालों की इच्छा को ध्यान में रखकर कर्तव्य और वक्तव्य में विरोधाभास रखते हैं। ऐसी परिस्थिति एक विवाह योग्य पुत्री के पिता की विवशता को उजागर करता है।

प्रश्न 3. अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर- अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप अपनी बेटी से अपेक्षा करते हैं कि वह सज धजकर सुंदर रूप में पेश आए। इसके लिए वह पाउडर आदि बनावटी साधनों का उपयोग करे। वह आने वाले मेहमानों के सामने ढंग से बात करे, अपनी व्यवहार कुशलता से उनका दिल जीत ले। उसमें जो-जो गुण हैं, उन्हें ठीक तरह प्रकट करे ताकि वह होने वाले पति और ससुर को पसंद जाए। वह उसे कम पढ़ी लिखी लड़की के रूप में भी पेश करना चाहता है।रामस्वरूप का व्यवहार ढोंग और दिखावे को बढ़ावा देता है। यह झूठ पर आधारित है। बी.. पढ़ी लिखी होकर भी उसे मैट्रिक बताना सरासर धोखा है। ऐसी ठगी पर खड़े रिश्ते कभी टिकाऊ नहीं होते। इसी प्रकार पाउडर लगाकर सुंदर दीखना भी धोखे में रखने जैसा है। रामस्वरूप के व्यवहार को हम उचित नहीं कह सकते।

प्रश्न 4. गोपाल प्रसाद विवाह कोबिज़नेसमानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर- गोपाल प्रसाद वकील हैं। वे चालाक किस्म के इनसान हैं। वे मानवीय रिश्तों से अधिक महत्त्व पैसों को देते हैं। शादी जैसे पवित्र संस्कार को भी वेबिजनेसकी तराजू में तौलते हैं। बिजनेसशब्द से उनकी इस मानसिकता का पता चल जाता है। इधर रामस्वरूप चाहते हैं कि उनकी बेटी उमा का रिश्ता गोपाल प्रसाद के लड़के शंकर से हो जाए जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है परंतु समस्या यह है कि गोपाल प्रसाद और उनका बेटा दोनों ही चाहते हैं कि लड़की अधिक से अधिक दसवीं पास होनी चाहिए। इस कारण रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाने के लिए झूठ बोलते हैं। यहाँ मेरा मानना है कि दोनों समान रूप से अपराधी हैं पर गोपाल प्रसाद का यह अपराध उनकी घटिया सोच तथा रूढ़िवादी सोच का परिणाम है जबकि रामस्वरूप का अपराध उनकी विवशता का परिणाम है।

प्रश्न 5. आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं…” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर- इस कथन के माध्यम से उमा शंकर की निम्नलिखित कमियों की ओर ध्यान दिलाना चाहती है

1.शंकर बिना रीढ़ की हड्डी के है, अर्थात् व्यक्तित्वहीन है। उसका कोई निजी मत, स्थान या महत्त्व नहीं है। वह अपने पिता के इशारों पर हीं-हीं करने वाला बेचारा जीव है। उसे जैसा कहा जाता है, वैसा ही करता है। वह पिता की उचित-अनुचित सभी बातों पर हाँ-हाँ करता चलता है। ऐसा पति पति होने योग्य नहीं है।

2.शंकर लड़कियों के पीछे लग-लगकर अपनी रीढ़ की हड्डी तुड़वा बैठा है। उसका सरेआम अपमान हो चुका है। अतः वह अपमानित, लंपट और दुश्चरित्र है।

3.उसका शरीर कमज़ोर है। उससे सीधा तन कर बैठा भी नहीं जाता। इसलिए वह विवाह के योग्य नहीं है।

प्रश्न 6. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- ‘रीढ़ की हड्डीनामक एकांकी का पात्र शंकर उन नवयुवकों का प्रतीक है जो सामाजिक और वैचारिक प्रगति से आज भी अछूते हैं। ऐसे युवक महिलाओं को उचित स्थान नहीं देना चाहते हैं। वे पुरुषों के बराबर नहीं आने देना चाहते हैं। शिक्षा जैसी अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं मानवीयता जगाने वाली मणि को पुरुषों के लिए ही उचित मानते हैं। ऐसे युवा शारीरिक रूप से मजबूत हैं और चारित्रिक रूप से। ऐसा व्यक्तित्व समाज को चारित्रिक पतन की ओर उन्मुख करता है। इसके विपरीत उमा उन लड़कियों का प्रतीक है जो सजग और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। उनका चरित्र समाज को उन्नति की ओर उन्मुख करने वाला है। अतः समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है।

प्रश्न 7. ‘रीढ़ की हड्डीशीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘रीढ़ की हड्डीएकांकी का शीर्षक सार्थक, सफल और व्यंग्यात्मक है। इस नाटक की मूल समस्या है-वर का व्यक्तित्वहीन होना। यदि शंकर समझदार और व्यक्तित्वसंपन्न युवक होता तो गोपाल प्रसाद की इतनी हिम्मत होती कि वह दो सुशिक्षित वयस्कों के बीच में बैठकर अपनी फूहड़ बातें करे और अशिक्षा को प्रोत्साहन दे। कम पढ़ी लिखी बहू चाहना गोपाल प्रसाद की जरूरत हो सकती है, शंकर की नहीं। अगर शंकर अपने पिता के रोबदाब के आगे यूँ भी नहीं कर सकता, बल्कि उनकी हाँ में हाँ मिलाता है तो वह उसकी कायरता है। उस कायरता को दिखाने के लिए उसे रीढ़ की हड्डी के बिना दिखाया गया है। इस प्रकार, रीढ़ की हड्डीव्यंग्यात्मक, संकेतपूर्ण, सार्थक और सफल शीर्षक है।
एक अच्छे शीर्षक में जिज्ञासा होनी चाहिए, जो पाठक को आतुर कर दे। यह शीर्षक जिज्ञासातुर करने वाला है।

प्रश्न 8. कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर- कथावस्तु के आधार पर मैं नि:संदेह एकांकी का मुख्य पात्र उमा को ही मानता हूँ क्योंकि एकांकी की सारी कथावस्तु उसी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। एकांकी के मुख्य पुरुष पात्र शंकर पर वह चारित्रिक, शारीरिक और तार्किक कौशल में भारी पड़ती है। उमा उच्च शिक्षित होने के साथ-साथ कला एवं संगीत में भी निपुण है। एकांकी में एक बार जब उसकी एंट्री होती है तो वह मंच पर अंत तक बनी रहती है। वह अपनी निपुणता से गोपाल प्रसाद और शंकर के निरुत्तर ही नहीं करती है बल्कि उनकी आँखें भी खोलकर रख देती है। एकांकी का समापन भी उमा के माध्यम से होता है। अतः उमा एकांकी की मुख्य पात्र है।

प्रश्न 9. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-

रामस्वरूप

रामस्वरूप प्रगतिशील विचारों का एक विवश पिता है, उनके व्यक्तित्व की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

प्रगतिशील रामस्वरूप मूल रूप से प्रगतिशील विचारों का व्यक्ति है। वह चाहता है कि लड़कियों को भी उच्च शिक्षा दी जानी चाहिए। इसलिए वह अपनी बेटी उमा को खूब पढ़ाता-लिखाता है। उसे उमा को बी.. तक पढ़ाने में गर्व ही है। यह उसके व्यक्तित्व का उज्ज्वल गुण है।

विवश पिता रामस्वरूप की दुर्बलता यह है कि वह बेटी उमा की शादी अपने जैसे अच्छे खानदान में करना चाहता है, किंतु अच्छे खानदानों में अधिक पढ़ी लिखी बहू को स्वीकार नहीं किया जाता। वे कम पढ़ी लिखी बहू चाहते हैं ताकि वे उसे नियंत्रण में रखकर उस पर मनमाना रोब चला सकें। यहीं रामस्वरूप दुर्बल हो जाता है। वह गोपाल प्रसाद जैसे लोगों का तिरस्कार करने की बजाय उनके अनुसार ढलने की कोशिश करता है। इसके लिए वह झूठ भी बोलता है, उमा से ढोंग भी करवाता है तथा गोपाल प्रसाद की ऊलजलूल बातों का समर्थन भी करता चला जाता है।

गोपाल प्रसाद

गोपाल प्रसाद समाज की गली-सड़ी यथास्थितिवादी भावनाओं का प्रतिनिधि है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं

बड़बोला- गोपाल प्रसाद बड़बोला व्यक्ति है। वह अपनी विशेषताओं का बखान करने में चूक नहीं करता। नए जमाने की तुलना में अपने जमाने की अच्छाई का वर्णन हो। खाने-पीने की बात हो, अपने शरीर की ताकत का वर्णन हो, अपनी मैट्रिक को बढ़ा चढ़ाकर दिखाना हो, वह ऊँचे-ऊँचे स्वर में बिना शर्म-संकोच के बोलता चला जाता है। वह हावी होना जानता है। उसके सामने और लोग दब जाते हैं। शंकर तो बिलकुल भीगी बिल्ली बना रहता है।

चालाक गोपाल प्रसाद बेटे की शादी को बिजनेस समझता है। इसलिए वह घाटे का सौदा नहीं करना चाहता। वह होने वाली बहू को ठोक-बजाकर जाँचता है। उसके चश्मे से लेकर पढाई-लिखाई, संगीत, पेंटिंग, सिलाई, इनाम-सभी योग्यताओं की परख करता है। वह ऐसी सर्वांगपूर्ण बहू चाहता है, जो उसके कहने के अनुसार चल सके।

 हँसौड़ – गोपाल प्रसाद स्वभाव से हँसौड़ है। वह इधर-उधर की चुटीली बातें करके सबका मन लगाए रखता है। खूबसूरती पर टैक्स लगाने का मज़ाक इसी तरह का मनोरंजक मज़ाक है।

प्रश्न 10. इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर- रीढ़ की हड्डीएकांकी का उद्देश्य है-समाज के लोगों की दोहरी मानसिकता सबके सामने लाना, लड़कियों के विवाह में आनेवाली समस्याओं की ओर समाज का ध्यान खींचना तथा युवाओं द्वारा अपनी शिक्षा और चरित्र की मजबूती का। ध्यान रखना। एकांकी में गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर जैसे लोग हैं जो उच्च शिक्षित होकर भी कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते हैं और स्त्रियों को समानता का दर्जा नहीं देना चाहते हैं। उमा को देखने आए लड़के वाले उसे वस्तु की तरह देखते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की माँग करते हैं। इसके अलावा शंकर जैसे युवा का अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना तथा उसकी चारित्रिक दुर्बलता की ओर ध्यान आकर्षित करना इस एकांकी का उद्देश्य है।

प्रश्न 11. समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर-   हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं-

1.     लोगों में सुशिक्षित नारी के लाभों का प्रचार कर सकते हैं।

2.     सुशिक्षित बहू को स्वीकार करके उन्हें सम्मान दे सकते हैं।

3.     सुशिक्षित कन्याओं को नौकरी दिलाकर उन्हें पुरुषों के समान महत्त्व दे सकते हैं।

4.     कम पढ़ी लिखी बहू चाहने वालों को समझा-बुझाकर रास्ते पर ला सकते हैं।

अगर आपको इस प्रश्न और उत्तर का वीडियो देखना है तो इस लिंक पर क्लिक करें,,,

https://youtu.be/7jN6-euntKw?t=3

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