(1) अमर बेलि बिनु मूल की, प्रतिपालत है ताहि ।
रहिमन ऐसे प्रभुहि तजि, खोजत फिरिये काही ।।
संदर्भ:- प्रस्तुत पंक्ति 'नीति धारा' मे 'रहीम के दोहे' शीर्षक से ली गई हैं। इसके कवि रहीम है।
प्रसंग:- इन पंक्तियों में ईश्वर की कृपा का वर्णन किया गया है।
व्याख्या:- कविवर रहीम जी कहते हैं कि ईश्वर इतना महान और दयालु है। वह बिना जड़ वाले अमरबेल को भी पालता रहता है।अतः हे मनुष्य ऐसे उदार भगवान को छोड़कर और किस को खोजता फिर रहा है? अर्थात तेरा किसी और को खोजना व्यर्थ है। तू तो केवल ईश्वर का ही ध्यान कर।
विशेष:- ईश्वर की कृपा का वर्णन है।
दोहा छंद है।
ब्रज भाषा है।
(2) रहिमन चुप है बैठिये, देखि दिनन को फेर ।
जब नीके दिन आईहैं, बनत न लागिहै देर।।
संदर्भ:- प्रस्तुत पंक्ति 'नीति धारा' मे 'रहीम के दोहे' शीर्षक से ली गई हैं। इसके कवि रहीम है।
प्रसंग:- इन पंक्तियों में कभी कहते हैं कि बुरे दिन आने पर मनुष्य को चुप होकर बैठ जाना चाहिए।
व्याख्या:- कविवर रहीम जी कहते हैं कि जब भी मनुष्य के बुरे दिन आए तो उसे चुप होकर बैठ जाना चाहिए। जब अच्छे दिन आएंगे तो फिर किसी काम के बनने में जरा सी भी देर नहीं लगेगी।
विशेष:- अच्छे दिनों की मनुष्य को प्रतीक्षा करनी चाहिए।
दोहा छंद है ।
ब्रज भाषा है।
(3) खीरा सिर ते काटिये, मलियत लोन लगाय।
रहिमन कड़वे मुखन को, चहिअत यही सजाय ।।
संदर्भ:- प्रस्तुत पंक्ति 'नीति धारा' मे 'रहीम के दोहे' शीर्षक से ली गई हैं। इसके कवि रहीम है।
प्रसंग:- इन पंक्तियों में कविवर रहीम कहते हैं कि कड़वा वचन बोलने वालों को कठोर दंड देना चाहिए।
व्याख्या:- कविवर रहीम जी कहते हैं की खीरा का सिर काट कर उस पर नमक लगाकर रगड़ा जाता है। ताकि उसके अंदर का जहर बाहर निकल आए। उसी तरह कड़वे वचन बोलने वाले व्यक्ति को भी सिर काट कर सजा देनी चाहिए।
विशेष:- कड़वे वचन बोलने वालों को सावधान किया है।
दोहा छंद है।
ब्रज भाषा है।
(4) बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय ।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।
संदर्भ:- प्रस्तुत पंक्ति 'नीति धारा' मे 'रहीम के दोहे' शीर्षक से ली गई हैं। इसके कवि रहीम है।
प्रसंग:- कविवर रहीम जी कहते हैं कि बिगड़ा कार आसानी से नहीं बनता है ।
व्याख्या:- कविवर रहीम जी कहते हैं कि बिगड़ी हुई बात फिर से नहीं बनती है। चाहे कोई लाख प्रयत्न क्यों ना कर ले। उदाहरण द्वारा कभी समझाते हैं कि जिस प्रकार फटे हुए दूध को लाख बार मथने पर भी मक्खन नहीं निकाल पाता है।
विशेष:- हमें कोई काम बिगाड़ना नहीं चाहिए।
दोहा छंद है।
ब्रज भाषा है।
(5) एकै साधै सब सधै, सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहि सीचिबो, फूलै फलै अधाय।।
संदर्भ:- प्रस्तुत पंक्ति 'नीति धारा' मे 'रहीम के दोहे' शीर्षक से ली गई हैं। इसके कवि रहीम है ।
प्रसंग:- कवि रहीम जी कहते हैं कि हमें पूरी तरह से एक की ही साधना करनी चाहिए। इधर-उधर नहीं भटकना चाहिए।
व्याख्या:- कवि रहीम जी कहते हैं की एक के साधने पर सब सध जाते हैं और जो व्यक्ति सभी को साधना चाहता है उसका काम बिगड़ जाता है। आगे वे कहते हैं कि यदि तुम जड़ को खींचोगे तो पेड़-पत्ते एवं फल सभी प्राप्त हो जाएंगे और तुम संतुष्ट हो जाओगे।
विशेष:- मन से एक को ही साधने की बात कही गई है।
दोहा छंद है ।
ब्रज भाषा है।
(6) कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
जैसी संगति बैठिये, तैसोई फल दीन ।।
संदर्भ:- प्रस्तुत पंक्ति 'नीति धारा' मे 'रहीम के दोहे' शीर्षक से ली गई हैं। इसके कवि रहीम है।
प्रसंग:- इन पंक्तियों में कवि ने संगत का प्रभाव बताया है।
व्याख्या:- कविवर रहीम जी कहते हैं कि मनुष्य जैसी संगत करेगा उसका फल भी वैसा ही मिलेगा। कवि उदाहरण देते हुए कहते हैं कि स्वाति नक्षत्र में बादलों से टपकने वाली बूंद तो एक ही होती है पर संगत के प्रभाव से उसका प्रभाव अलग-अलग है। अर्थात यदि वह केले के पत्ते पर गिरेगी तो कपूर बन जाएगी, सीप में गिरेगी तो मोती बन जाएगी और सर्प के मुख पर गिरेगी तो मणि बन जाएगी।
विशेष:- कवि ने संगत का महत्व बताया है।
दोहा छंद है।
ब्रज भाषा है।
(7) रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गांठ पड़ जाय ।।
संदर्भ:- प्रस्तुत पंक्ति 'नीति धारा' मे 'रहीम के दोहे' शीर्षक से ली गई हैं। इसके कवि रहीम है।
प्रसंग:- इस पंक्ति में कवि सच्चे प्रेम को ना तोड़ने की सलाह देते हैं ।
व्याख्या:- कविवर रहीम जी कहते हैं कि यह प्रेम रूपी धागा को चटका कर मत तोड़ना यदि यह टूट जाएगा तो फिर इसे जोड़ने पर इसमें गांठ पड़ जाएगी कहने का भाव यह है कि सच्चे प्रेम में कोई विघ्न मत डालो।
विशेष:- कवि कहते हैं कि सच्चा प्रेम निश्चल होता है।
दोहा छंद है।
ब्रज भाषा है।
इन पदों के वीडियो देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें...
https://youtu.be/brEoY0pp1lw (भाग 1)
https://youtu.be/m8JOSZ59tNg (भाग 2)
https://youtu.be/brEoY0pp1lw (भाग 1)
https://youtu.be/m8JOSZ59tNg (भाग 2)
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