प्रश्न-1 गंगा नदी की पहली तथा बड़ी पश्चिमी सहायक नदी कौन-सी है?
उत्तर- गंगा नदी की पहली तथा बड़ी पश्चिमी सहायक नदी यमुना है।
प्रश्न-2 नदियां हमारे जीवन के किस-किस पक्ष को समृद्ध करती हैं?
उत्तर- नदियां हमारे जीवन के आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक पक्ष को समृद्ध करती हैं।
प्रश्न-3 'स्वयंजात वन' किसे कहते हैं?
उत्तर- 'स्वयंजात वन' उन बनो को कहते हैं जो प्राकृतिक रूप से स्वयं बन गए हैं; जैसे- कुरु प्रदेश कुरु
का जंगल, साकेत का अंजनबन आदि।
प्रश्न-4 भारत के स्वयंजात वन कौन-कौन है?
उत्तर- भारत के स्वयंजात वनों में कुरु प्रदेश का कुरु जंगल, साकेत का अंजनबन, वैशाली और कपिलवस्तु में महावन, तथा रोहिणी नदी के तट पर लुंबिनी वन प्रमुख हैं।
प्रश्न-5 भारत की नदियां अब मोक्षदायिनी क्यों नहीं रह गई है? पाठ के आधार पर समझाइए।
उत्तर- आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी आदि नदियां अत्यधिक पवित्र मानी जाती थी। इनका जल पीकर तथा इनमें स्नान कर मनुष्य अपने शारीरिक एवं मानसिक क्लेशो से मुक्ति पाता था। इतना ही नहीं इनके किनारे तप करके मनुष्य अपने जीवन को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता था, पर आज औद्योगिकरण के प्रभाव एवं नई शहरी संस्कृति ने इन नदियों को प्रदूषित कर दिया है। इनमें शहरों का मल मूत्र और उद्योगों का अवशिष्ट कचरा प्रवाहित किया जा रहा है। इस प्रकार यह नदियां अब मोक्षदायिनी ना होकर संक्रामक रोगों को जन्म देने वाली बन गई हैं।
प्रश्न-6 वन, पर्वत और नदियों के नजदीकी रिश्ते को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- वनों, पर्वतों और नदियों का बहुत नजदीकी रिश्ता है। यह तीनों एक साथ रहते हैं। नदियां पर्वतों से निकलती हैं और वनों के मध्य से नदियां निरंतर प्रवाहित होती हैं। वनों और पर्वतों के कारण ही नदियों का अस्तित्व है। वनों और पर्वतों के रहने पर ही नदियों का अस्तित्व रहेगा। इस तरह वन, पर्वत और नदियों का परस्पर संबंध है।
प्रश्न-7 वर्तमान समय में अपने परिवेश को प्रदूषण के प्रभाव से कैसे बचाया जा सकता है? टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- वर्तमान समय में अपने परिवेश को प्रदूषण के प्रभाव से तभी बचाया जा सकता है जब हम नदियों में गंदगी प्रवाहित ना कर उसे अन्यत्र डालें, नदियों में नालों के पानी को मिलाने से पूर्व प्रशोधित किया जाए। अभी उसका नदियों में मिलान किया जाए। आसपास की वनस्पति के संरक्षण का प्रयास किया जाए और प्रति वर्ष अधिक से अधिक नए वृक्ष लगाए जाएं। वनों के अधिक होने से पर्वतों का भी क्षरण रुकेगा। इस प्रकार के उपाय करके हम अपने परिवेश को प्रदूषण के प्रभाव से बचा सकते हैं।
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