कारक
कारक का अर्थ
है 'क्रिया को
करने वाला' कारक
विभिन्न संज्ञाओ-सर्वनामो को
क्रिया के साथ
किसी ना किसी
भूमिका में जोड़ते
हैं।
कारक की परिभाषा:-
संज्ञा या सर्वनाम
की क्रिया के
साथ भूमिका निश्चित
करने वाले शब्द
कारक कहलाते हैं।
जैसे:-
"राम ने सत्य
को पाने के
लिए रावण से
युद्ध किया। "
यहां ने, को,
के लिए, से,
आदि कारक क्रमशः
राम, सत्य, पानी,
रावण को युद्ध
करने की क्रिया
से जोड़ते हैं। अतः यह ही
कारक हैं। परिभाषा के
अनुसार यह
क्रिया कराने में संज्ञा,
सर्वनाम आदि की
भूमिका निश्चित कर रहे
हैं।
विभक्ति चिन्ह:- संज्ञा-सर्वनाम
आदि शब्दों को
क्रिया से जोड़ने
वाले शब्दों को
विभक्ति चिन्ह कहते हैं
।
जैसे:- ने, से,
का, के, की,
को आदि।
कारक के 8 भेद
होते हैं।
नीचे कारक तथा
उसके विभक्ति चिन्ह
दिए जा रहे
हैं।
कारक कार्य विभक्ति चिन्ह
1.कर्ता - क्रिया
को करने वाला - ने,
या (बिना चिन्ह)
2.कर्म - जिस
प्रक्रिया का प्रभाव
पड़े - को,
या (बिना चिन्ह)
3.कारण - जिस
साधन से किया
हो - से,
के, द्वारा, साथ,
के कारण
4.संप्रदान - जिसके
लिए क्रिया की
गई हो - के लिए,
को, के
5.अपादान - जिससे
पृथकता हो - से
(पृथकता सूचक)
6.संबंध - जिससे
संबंध प्रकट हो - का,
की, के
7.अधिकरण- क्रिया
करने का स्थान/आधार - मे,
पर
8.संबोधन - किसी
को पुकारना या
संबोधित करना - हे,
अरे, ओ..
(1) कर्ता कारक:- क्रिया करने
वाले को कर्ता
कहते हैं। बिना कर्ता
के क्रिया संभव
नहीं है।
उदाहरण:- रवि पत्र
लिखता है।
सूर्य चमकता है
।
बादल गरजते
हैं।
उपर्युक्त उदाहरणों में रवि,
सूर्य, बादल कर्ता
है।
(2) कर्म कारक:- जिस पर
क्रिया का प्रभाव
कर्ता के माध्यम
से पड़ता है,
वह कर्म कारक
होता है।
उदाहरण:- रवि पत्र
लिखता है।
निम्न उदाहरण मे 'पत्र'
पर 'लिखता है'
क्रिया का प्रभाव
कर्ता रवि के
माध्यम से पड़ता
है।
(3) करण कारक:- जिसके द्वारा
या जिसकी सहायता
से काम किया
जाता हो, उसे
करण कारक कहते
हैं ।
उदाहरण:- राम कलम
से पत्र लिखता
है ।
उसने पेंसिल
से चित्र बनाया।
निम्न उदाहरण में कलम
से या कलम
की सहायता से
पत्र को लिखा
जाता है। अतः इसमें
'कलम' में करण
कारक है। इसके विभक्ति
चिन्ह है से
तथा के द्वारा
है।
(4) संप्रदान
कारक:- जिसके लिए कर्ता
कार्य कर्ता है,
वहां संप्रदान कारक
होता है।
उदाहरण:- कमला बच्चों
के लिए फल
लाती है।
उपरोक्त उदाहरण में 'बच्चों
के लिए' मे
संप्रदान कारक है।
(5) अपादान
कारक:- जिससे किसी वस्तु
का अलग होना
बताया जा रहा
हो, वहां अपादान
कारक होता है
।
उदाहरण:- छत से
बालक गिर पड़ा
।
उपरोक्त उदाहरण में 'छत
से' मे अपादान
कारक है।
(6) संबंध कारक:- एक वस्तु
या व्यक्ति का
दूसरी वस्तु या
पुरुष से संबंध
बताने पर संबंध
कारक होता है।
उदाहरण:- यह मोहन
की पुस्तक है।
यह मोहन
का पेन है।
उपरोक्त उदाहरण में मोहन
का अधिकार (संबंध)
पुस्तक पर 'की'
के द्वारा प्रकट
होता है ।
(7) अधिकरण
कारक:- बांके में संज्ञा
का आधार जिसके
द्वारा प्रकट होता है,
वहां अधिकरण कारक
होता है।
उदाहरण:- छात्र कक्षा में
पढ़ता है।
उपरोक्त उदाहरण में छात्र
के पढ़ने का
आधार 'कक्षा' होने
से 'कक्षा में'
अधिकरण कारक है
।
(8) संबोधन
कारक:- किसी को
पुकारा जाए या
सावधान किया जाए,
वहां संबोधन कारक
होता है।
उदाहरण:- हे रवि!
तुम यहां आओ।
उपरोक्त उदाहरण में 'हे'
शब्द संबोधन कारक
है।
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