कक्षा-10 अध्याय-6 निंदा रस (सहायक वाचन) प्रश्न और उत्तर - हिंदी गुरु

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रविवार, 13 दिसंबर 2020

कक्षा-10 अध्याय-6 निंदा रस (सहायक वाचन) प्रश्न और उत्तर

 

                                       निंदा रस (व्यंग्य निबन्ध)

 प्रश्न 1. लेखक ने निन्दकों को पास में रखने की सलाह क्यों दी है?                                     

      उत्तर:- निंदक अपनी निंदा करने के कार्य में असीम तृप्ति का अनुभव करता है। व्यावहारिक दृष्टि से देखें तो निंदक व्यक्ति को कोई पसंद नहीं करता, लेकिन यदि साधु संतों की दृष्टि से देखें तो निंदक व्यक्ति को अपने आस पास ही रखना चाहिए क्योंकि वह बिना पानी और साबुन के हमारे मन को निर्मल कर देता है। निठल्ला इन्सान दूसरों को कार्य में जुटा देखकर उनसे अकारण ईर्ष्या करने लगता है।

प्रश्न 2. अपने निन्दकों को उचित उत्तर देने का लेखक ने क्या उपाय सुझाया है?
उत्तर:- लेखक ने निन्दकों को उचित उत्तर देने का सर्वश्रेष्ठ उपाय बताया है कि कठोर श्रम से हम ईर्ष्या,जलन, ढाह आदि बुरी भावनाओं का समूल नाश कर सकते हैं। निन्दकों को उचित उत्तर देने का यही सर्वश्रेष्ठ उपाय है।

 प्रश्न 3. निन्दा की प्रवृत्ति से बचने के लिए क्या करना चाहिए?                               

        उत्तर;- निन्दा से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय काम में जुटे रहना है। कर्म में प्रवृत्त रहने से धीरे-धीरे निन्दा का अवगुण समाप्त हो जाता है। कठिन कर्म ही निन्दा को नष्ट करता है। कार्यरत मानव को दूसरे की निन्दा करने का अवसर ही नहीं मिलता। जो इन्सान निन्दा में प्रवृत रहता है, उसका मन कमजोर तथा अशक्त होता है। उसके मन में हीनता की भावना विद्यमान रहती है। 

प्रश्न 4. “कुछ लोग बड़े निर्दोष मिथ्यावादी होते हैं।कथन की विवेचना कीजिये।
उत्तर:- कुछ इन्सान बड़े निर्दोष-मिथ्यावादी होते हैं। वे झूठ का आश्रय लेते हैं। बिना किसी कारण असत्य बोलते हैं। इस प्रकार के मिथ्यावादियों के लिए लेखक ने निर्दोष शब्द का जो प्रयोग किया है, वह उचित प्रतीत होता है। जो इन्सान इस प्रकार का झूठ बोलता है, वह किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता। वे झूठ का सहारा स्वभाववश लेते हैं। दुनिया में अक्सर लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ हेतु या दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं, परन्तु निर्दोष मिथ्यावादी अपनी प्रकृति के वशीभूत होकर ही असत्य बोलता है।

प्रश्न 5. इस पाठ से आपने क्या शिक्षा ग्रहण की और क्या निश्चय किया? स्पष्ट कीजिये
उत्तर:- हीनता की भावना से निन्दा का जन्म होता है। जिस इन्सान में हीनता की भावना होती है, निन्दक बन जाता है। हीनता की भावना से ग्रसित होकर व्यक्ति अपनी श्रेष्ठता का प्रभाव जमाना चाहता है। अपने अहम् को सन्तुष्ट करने के लिए वह निन्दा करता है। निन्दक की प्रवृत्ति आलस्य तथा प्रमाद से उत्पन्न होती है। प्रमादी मानव कार्य करने से जी चुराता है। निन्दा रस से बचने का एकमात्र साधन कर्म में जुटे रहना है। कर्म से आत्म-सन्तुष्टि मिलती है। इस पाठ से हमने यह शिक्षा ग्रहण की है कि निन्दा रस से बचने के लिए हमेशा कर्म में जुटे रहना चाहिए ।

 

 बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.सूरदास जी ने निन्दा के विषय में लिखा है
(
) ‘निन्दा सबद रसाल        () विशाल निन्द
(
) रस निन्दा                      () इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:- () ‘निन्दा सबद रसाल

प्रश्न 2. निन्दा का उद्गम है
(
) दीनता                      () निन्दक
(
) हीनता और कमजोरी    () कमजोरी।
उत्तर:-   () हीनता और कमजोरी

प्रश्न 3.  निन्दा कुछ लोगों की पूँजी होती है, इससे वे फैलाते हैं
(
) बुराई       () प्रतिष्ठा
(
) पूँजी         () लम्बा चौड़ा व्यापार।
उत्तर:-  () लम्बा चौड़ा व्यापार।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

1.छल का धृतराष्ट्र जब आलिंगन करे, तो पुतला ही आगे बढ़ाना चाहिए।

2. निंदा रस नामक निबन्ध में व्यंग्य तत्त्व की प्रधानता है 

3.मनुष्य अपनी हीनता…. से दबता है।

 सत्य/सत्य

1.    1. कुछ लोग बड़े निर्दोष मिथ्यावादी होते हैं। (सत्य)

 2. कठिन कर्म ही ईर्ष्या और द्वेष को जन्म देता है। (असत्य)

 3.बड़ी लकीर को कुछ मिटाकर छोटी लकीर बनती है।( सत्य)

 4. निन्दा रस व्यंग्य निबन्ध है। (सत्य)

  5. निंदक समाज में सम्मान के पात्र होते हैं। (असत्य)

 एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1.    लेखक ने किसको अपने पास रखने की सलाह दी है?

2.    कौन-सा रस आनन्ददायक है?

3.    किस व्यक्ति की स्थिति बड़ी दयनीय होती है?

4.    निन्दा रस के लेखक कौन हैं?

उत्तर:- 1.निन्दकों को   2. निन्दा रस   3.निन्दक की   4. हरिशंकर परिसाई।

अगर आपको इस प्रश्न और उत्तर का वीडियो देखना है तो इस लिंक पर क्लिक करें..

https://youtu.be/wW2LFCMn1Fk

 

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