प्रश्न 1. कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभारता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
उत्तर- कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने पर मेरे मन मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है, वह इस प्रकार है। जाड़े का भयंकर प्रकोप है, चारों ओर कोहरा छाया हुआ है, प्रातः काल की शीतलहर में भी छोटे-छोटे बच्चे करने के लिए, कल- कारखानों, फैक्ट्रियों की और तेज गति से चले जा रहे हैं। इनके हाथों में दोपहर के खाने का टिफिन है। बे साधन हीन है इसलिए पैदल जा रहे हैं। यह सब आर्थिक अभावों के कारण हो रहा है।
प्रश्न 2. कवि का
मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
उत्तर- "बच्चे काम पर जा रहे हैं" यह पंक्ति आज के समय की भयावह स्थिति को प्रकट करती है। इसे विवरण के रूप में लिखना ठीक नहीं है क्योंकि विवरण में बात पर जोर नहीं रह पाता है, वह सामान्य बात हो कर रह जाती है और जब बात को प्रश्न के रूप में उठाते हैं तो उसमें वजन आ जाता है। इसलिए कभी ने इसे प्रश्न के रूप में पूछने की बात कही है।
प्रश्न 3. सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर- सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे इसलिए वंचित हैं क्योंकि उनके माता पिता उपकरणों को खरीदने के लिए रुपए नहीं है। आर्थिक तंगी के कारण वे अपने बच्चों को ना तो पढ़ा पाते हैं और ना उन्हें खेलने के लिए उपकरण दिला पाते हैं। इसके लिए सामाजिक व्यवस्था दोषी है। अमीर और गरीब का भेद इसका मूल कारण है। गरीबी का उन्मूलन आवश्यक है तभी सब बच्चों को खेलने की सुविधा मिलेगी।
प्रश्न 4. दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर- जीवन में बच्चों को काम पर जाते हुए देखकर भी लोग उदासीन बने रहते हैं। इस उदासीनता के अनेक कारण हैं; जैसे-
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समाज की उदासीनता बढ़ाता है।
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निम्न वर्ग बच्चों को काम पर भेजने के लिए मजबूर होता है।
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उच्च वर्ग अधिक लाभ कमाने और कम मजदूरी देने के लालच में बच्चों से काम करवाते हैं।
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बाल श्रम कानून का पालन कराने वाले अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्य का उचित निर्वाह न करना ।
प्रश्न 5. आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
उत्तर- मैंने अपने शहर में बच्चों को अनेक स्थलों पर काम करते देखा है। चाय की दुकान पर, होटलों पर, विभिन्न दुकानों पर, घरों में, निजी कार्यालयों में। मैंने उन्हें सुबह से देर रात तक, हर मौसम में काम करते देखा है।
प्रश्न 6. बच्चों को काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
उत्तर- बच्चों का काम पर जाना एक बड़े हादसे के समान इसलिए है क्योंकि खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में काम करने से बालश्रमिकों का भविष्य नष्ट हो जाता है। इससे एक ओर जहाँ शारीरिक विकास अवरुद्ध होता है, वहीं उनका मानसिक विकास भी यथोचित ढंग से नहीं हो पाता है। ऐसे बच्चे जीवनभर के लिए अकुशल श्रमिक बनकर रह जाते हैं। इससे उनके द्वारा समाज और देश के विकास में उनके द्वारा जो योगदान दिया जाना था वह नहीं मिलता है जिससे प्रगति की दर मंद पड़ती जाती है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 7. काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आप को रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
उत्तर- आज मुझे स्कूल जाना था। मैंने होम वर्क भी पूरा कर लिया था। परंतु क्या करूं? पिताजी बीमार हैं। माँ उनकी देखभाल में व्यस्त हैं। न पिता काम पर जा पा रहे हैं और न माँ। माँ ने मुझे अपनी जगह बर्तन-सफाई के काम पर भेज दिया। मैं यह काम नहीं करना चाहती और उस मोटी आंटी के घर में तो बिलकुल नहीं करना चाहती जिसने दरवाजे पर कुत्ता बाँध रखा है। मेरे घुसते ही कुत्ता भौंकने लगता है। डरते-डरते अंदर जाती हूँ तो मालकिन ऐसे पेश आती है जैसे मैं लड़की ने हूँ, बल्कि उसकी खरीदी हुई गुलाम हूँ। सच कहूँ, मुझे ग्लानि होती है। अगर मजबूरी न होती, तो मैं काम-धंधे की ओर मुड़कर भी न देखती।
प्रश्न 8. आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?
उत्तर- मेरे विचार से बच्चों को काम पर इसलिए नहीं भेजा जाना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों का बचपन नष्ट होता है। वे जीवन भर के लिए मजदूर बनकर रह जाते हैं। बच्चों का काम पर जाना समाज के माथे पर कलंक है। इस कलंक से बचने के लिए बच्चों से बाल मजदूरी नहीं करवानी चाहिए।
परीक्षा उपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. बच्चों को किस समय और कहाँ जाते हुए देखकर कवि को पीड़ा हुई है? बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के आलोक में लिखिए।
उत्तर- बच्चों को कड़ी सरदी में सवेरे-सवेरे कोहरे से ढंकी सड़क पर जाते हुए देखकर और खेलने-कूदने की उम्र में बच्चों को काम पर जाते देख कवि को पीड़ा हुई।
प्रश्न 2. कवि के लिए बच्चों का काम पर जाना चिंता का विषय क्यों बन गया है? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं? कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर- कवि के लिए बच्चों का काम पर जाना चिंता का विषय इसलिए बन गया है क्योंकि आज के बच्चे कल का भविष्य हैं। जिस उम्र में बच्चों को खेल-कूदकर बचपन का आनंद लेना चाहिए तथा पद-लिखकर योग्य नागरिक बनना चाहिए, उस उम्र में काम करके अपना भविष्य अंधकारमय कर रहे हैं।
प्रश्न 3. बालश्रम अपराध है फिर भी बच्चों को काम करते हुए देखा जा सकता है। इसके क्या कारण हो सकते हैं, लिखिए।
उत्तर बालश्रम अपराध है फिर भी हम बच्चों को काम करते हुए देखते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। इनमें सबसे पहला कारण गरीबी है। बच्चों की मूलभूत ज़रूरतें पूरी न करने पर माँ-बाप उन्हें काम पर भेजने को विवश हो जाते हैं। इसके अलावा लोगों की स्वार्थी प्रवृत्ति तथा संवेदनहीनता के कारण बच्चे काम करते हुए देखे जा सकते हैं।
प्रश्न 4. ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’-कविता में काले पहाड़ किसके प्रतीक हैं? ये काले पहाड़ किस तरह हानिप्रद हैं?
उत्तर- ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता में काले पहाड़ समाज में व्याप्त शोषण व्यवस्था के प्रतीक हैं। इसी व्यवस्था के कारण समाज का एक वर्ग बच्चों का शोषण करता है, उनसे काम करवाकर उनका भविष्य खराब करता है और बहुत कम मजदूरी देकर अपनी जेब भरता है।
प्रश्न 5. बच्चों को काम पर जाता देखकर आपके मन में जो विचार आते हैं उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- बच्चों को काम पर जाता देखकर हमारे मन में यह विचार आता है कि इस उम्र में बच्चों को काम करने के बजाय पढ़ने लिखने और खेलने-कूदने का अवसर मिलना चाहिए ताकि ये मज़दूर न बनकर योग्य नागरिक बने तथा समाज व देश की प्रगति में अपना योगदान दें।
प्रश्न 6. बालश्रम की समस्या बढ़ाने में समाज की संवेदनहीनता का भी योगदान है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- बालश्रम की समस्या पर रोक लगाने पर भी यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। इसका कारण है कि समाज के लोग बच्चों को काम पर जाता हुआ देखकर भी अनदेखा करते हैं और बच्चों के भविष्य के प्रति उदासीन दृष्टिकोण बनाए रखते हैं। इस संवेदनहीनता के कारण यह समस्या बढ़ती ही जा रही है।
प्रश्न 7. ‘बच्चे, बहुत छोटे बच्चे’ पंक्ति के आलोक में स्पष्ट कीजिए कि कवि किस बात पर हर देश चाहता है?
उत्तर- ‘बच्चे, बहुत छोटे बच्चे के माध्यम से कवि इस बात पर जोर देना चाहता है कि कामे परे जाने के लिए विवश बच्चों की उम्र ऐसी नहीं है कि वे काम पर जाएँ। इतने छोटे बच्चों को खेलना कूदना और पढ़ना-लिखना चाहिए। इतनी छोटी उम्र में काम करने से इनका बचपन नष्ट हो रहा है।
प्रश्न 8. काम पर जाने वाले बच्चों के साथ के कार्यस्थलों एवं कारखानों पर कैसा व्यवहार किया है, अपने अनुभव एवं विवेक से लिखिए।
उत्तर- काम करने वाले बच्चों के साथ कारखानों और कार्यस्थलों पर अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है। उन्हें बात-बात पर तथा ज़रा सी गलती के लिए डाँटा-फटकारा और मारा-पीटा जाता है। अनजाने में भी हुए नुकसान के दंडस्वरूप उनकी मजदूरी काट ली जाती है। उनसे अधिक समय काम करवाने पर भी कम मजदूरी दी जाती है।
प्रश्न 9. ‘तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में ऐसा प्रश्न कवि कब और क्यों करता है?
उत्तर- ‘तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में ?’ कवि ऐसा प्रश्न तब करता है जब वह देखता है कि बहुत छोटे-छोटे बच्चे काम पर जाने को विवश हैं। कवि सोचता है कि यह बच्चों के खेलने और पढ़ने के दिन हैं। क्या किताबें, खिलौने, गेंदें विद्यालय आदि नष्ट हो गए हैं? यदि हाँ तो दुनिया में जीने के लायक कुछ भी नहीं बचा है।
प्रश्न 10. ‘दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए’ कहकर कवि ने किस ओर संकेत किया है? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कविता के आलोक में लिखिए।
उत्तर- ‘दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए’ कहकर कवि ने बाल मजदूरी की समस्या की व्यापकता की ओर संकेत किया है। यह समस्या किसी देश विशेष की न होकर पूरे विश्व की समस्या है। गरीबी के कारण दुनिया भर में लाखों-करोड़ों बच्चे बाल श्रमिक बनने को विवश हैं।
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