संज्ञा और उसके भेद - हिंदी गुरु

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मंगलवार, 21 जुलाई 2020

संज्ञा और उसके भेद






संज्ञा की परिभाषा:- किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान और भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं।
जैसे- रवि, सुभाष, गीता, पुस्तक, कलम, टेबल, भारत, दिल्ली, भोपाल, खुशी, प्रेम, बचपन आदि।
संज्ञा तीन भेद होते हैं।
(1) जातिवाचक संज्ञा
(2) व्यक्तिवाचक संज्ञा
(3) भाव वाचक संज्ञा

(1) जातिवाचक संज्ञा :- जिस शब्द में प्राणियों, वस्तुओं की संपूर्ण जाति का बोध होता  हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- छात्र, छात्राएं, स्त्री, जानवर आदि।

(2) व्यक्तिवाचक संज्ञा:- जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान आदि का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- जवाहरलाल नेहरू, ताजमहल, जयपुर आदि।

(3) भाव वाचक संज्ञा :- जिस शब्दों में किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण,धर्म, अवस्था, दोष का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे:- मिठास, खटास, बुढ़ापा, बचपन आदि।

जातिवाचक संज्ञा के दो अन्य भेद होते हैं।

(1) द्रव्यवाचक संज्ञा:- जो शब्द किसी द्रव्य पदार्थ या धातु का बोध कराते हैं उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे:- गेहूं, तेल, पानी, सोना, चांदी आदि।

(2) समूहवाचक संज्ञा:- जो शब्द किसी समूह या समुदाय का बोध कराते हैं उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे:- गेहूं का ढेर, लकड़ी का गट्ठर, विद्यार्थियों का समूह, सेना आदि।
अगर आपको संज्ञा का वीडियो देखना है तो इस लिंक पर क्लिक करें... 
https://youtu.be/ydXoDf6CZh8


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