छंद के प्रकार - हिंदी गुरु

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रविवार, 4 अगस्त 2019

छंद के प्रकार


        
                                                                                                                            छंद

परिभाषा:- जिन रचना में वर्ण, मात्रा, यति, गति, चरण, तुक आदि के नियमों का पालन किया जाता है, वह रचना छंद कहलाती है
छंद के 6 अंग होते हैं
 1 - वर्ण:- वर्ण दो प्रकार के होते हैं लघु और गुरु लघु वर्ण कहते हैं - , , , , को लघु वर्ण कहते हैं , , , , को गुरु वर्ण कहते हैं
2 - मात्रा:- किसी स्वर के उच्चारण में जो समय लगता है, वह मात्रा कहलाती है मात्राएं स्वरों पर आधारित होती हैं लघु स्वर (लघु मात्रा) दीर्घ स्वर (दीर्घ मात्रा)
3 - यति:- छंद के प्रत्येक चरण को पढ़ते समय कोमा पर रुकना पड़ता है या फिर अंत में रुकना पड़ता है, उसे ही यति कहते हैं
4 - गति:- प्रत्येक छंद में अपनी एक लय होती है, जो प्रवाह होता है उसे गति कहते हैं
5 - चरण:- छंद पंक्तियों में बटा होता है और पंक्ति चरण में एक पंक्ति में 2 चरण होते हैं सवैया की एक पंक्ति में एक ही चरण होता है

6 - तुक:-तुक छंद के प्राण हैं छंद या कविता के अंत में आने वाले समान वर्णों को तुक कहते हैं

छंद तीन प्रकार की होती हैं
   (1) - मात्रिक छंद
   (2) - वर्णिक छंद
   (3) - लयात्मक या तुकांत छंद
(1) मात्रिक छंद:- मात्रिक छंद में मात्राओं की गणना की जाती है
(2) वर्णिक छंद:- वर्णिक छंद में वर्णों की गणना की जाती है
(3) लयात्मक या तुकांत छंद:- इस छंद में ना तो मात्राओं की गणना की जाती है ना ही वर्णों की गणना की जाती है इसमें लय और तुक  देखी जाती है
मात्रिक छंद  तीन प्रकार के होते हैं - सममात्रिक छंद, अर्धसममात्रिक छंद, विषममात्रिक छंद

(1) - सम मात्रिक छंद:- प्रत्येक चरण में सामान मात्राएं होती हैं
  1 - चौपाई:- चार चरण, प्रत्येक चरण में 16 - 16 मात्रा होती हैं
 2 - रोला:- चार चरण, प्रत्येक चरण में 24 -24 मात्रा होती हैं
3 - गीतिका:- चार चरण, प्रत्येक चरण में 26 -26 मात्रा होती हैं
4 - हरिगीतिका:- चार चरण, प्रत्येक चरण में 28 -28मात्रा होती है

(2) -अर्ध सममात्रिक छंद:- कुछ चरण में सम और कुछ चरण में विषम मात्राएं होती हैं
1 - दोहा:- चार चरण (1,3) मे 13-13 और (2,4) मे 11-11 मात्रा होती है
2 - सोरठा:-चार चरण (1,3) मे 11-11 और (2,4) मे 13-13  मात्रा होती है
3 - वरवै:-चार चरण (1,3) मे 12-12 और (2,4) मे 7-7  मात्रा होती है
4 - उल्लाला:-चार चरण (1,3) मे 15-15 और (2,4) मे 13-13  मात्रा होती है

(3) - विषम मात्रिक छंद:- मात्राओं का कोई नियम नहीं होता
1 - कुंडलिया:- कुल 6 चरण होते हैं, पहली दो पंक्ति दोहा की और अंतिम चार पंक्ति रोला की होती हैं
             पहली और अंतिम पंक्ति में 24-24 मात्राएं होती हैं
2 - छप्पय:- कुल 6 चरण होते हैं, पहले चार पंक्ति रोला की और अंतिम चार पंक्ति उल्लाला की होते हैं
           पहली पंक्ति में 24 और अंतिम पंक्ति में 28 मात्राएं होती हैं

चौपाई

 S । ।  । । । । S । । S S  = 16
मंगल  भुवन  अमंगल हारी
। । ।   । । । ।  । । । । S S = 16
द्रवहु  सु  दशरथ  अजिर बिहारी

दोहा

। । । । S S  S । S=13    । ।  SS  ।।  S। =11
रहिमन  पानी  राखिये,           विनु पानी सब सून
S S   ।S     S । S =13   S S  S । ।  S । =11
पानी गये   ऊवरे,             मोती  मानुष  चून

गीतिका

           S       S  S   S     S   S     S    S   S     S   =26
        साधु भक्तों में सुयोगी,   संयमी बढ़ने लगे

        सभ्यता की सीढ़ियों पर, सूरमा चढ़ने लगे

        वेद मंत्रों की विवेकी, प्रेम से पढ़ने लगे

        बंचकों की छातियों में, शूल से गढ़ने लगे

हरिगीतिका छंद

           ।  ।S।  S S ।  । S।।    SS  । S   ।S S =28

         वह सनेह की मूर्ति  दयामयि, माता तुल्य महीं है          उसके प्रति कर्तव्य तुम्हारा, क्या कुछ शेष नहीं          हाथ पकड़ कर प्रथम जिन्होंने, चलना तुम्हें सिखाया          भाषा सिखा हृदय का अद् भुत, रूप स्वरूप दिखाया


                 S         S   S       S     S       S        S        S    S                  

नोट:-   त्वचा,   कन्या,   तान्या,   कृपा,   कर्क,   वात्सल्य   

अगर आपको छंद एवं उसकी परिभाषा का वीडियो देखना है तो नीचे दी गई लिं करेंक पर क्लिक

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