समास समास शब्द का अर्थ है,
संक्षिप्त करने की प्रक्रिया अपनी बात को कम से कम शब्दों में कहना मानव का स्वभाव
है इसलिए भाषा के एक से अधिक शब्दों को मिलाकर जो अर्थ कारी शब्द बनाया जाता है।
उसे समास कहते हैं समास में प्रयुक्त शब्द पद कहलाते हैं। परिभाषा:- दो या दो
से अधिक शब्दों
के मेल से
नवीन शब्द बनाने
की प्रक्रिया समास
कहलाती है। समास रचना
में 2 पद होते
हैं, पहला पद
पूर्व पद कहा
जाता है और
दूसरा पद उत्तर
पद कहा जाता
है। इन दोनों से बना
नया शब्द समस्त
पद कहलाता है।
जैसे-पूर्व पद + उत्तर
पद = समस्त पद
देश + भक्त = देशभक्त
(1)अव्ययीभाव
समास:- इस समास
में पहला पद
प्रधान होता है
और छोटा या
कम अर्थ वाला
होता है ।
उपसर्ग युक्त पद भी
अव्ययीभाव समास में
होते हैं।
हर घड़ी= घड़ी- घड़ी
प्रतिदिन= दिन- दिन
बे काम= बिना
काम के
भरपेट= पेट भर
के
रातोंरात= रात ही
रात मे
आजीवन = जीवन भर
यथाशक्ति= शक्ति के अनुसार
प्रतिदिन= प्रत्येक दिन भरपेट=
पेट भर के
(2)तत्पुरुष
समास:- तत्पुरुष समास कारक
से जुड़ा समास
है इसमें कर्म
कारक से अधिकरण
कारक तक की
विभक्ति चिन्ह का प्रयोग
होता है कारक
के कारण तत्पुरुष
समास के 6 भेद
होते हैं।
1- कर्म तत्पुरुष (विभक्ति चिन्ह
को)
पॉकेटमार= पॉकेट को मारने
वाला जनप्रिय= जन
को प्रिय हलधर= हल को
धर यश प्राप्त=
यश को प्राप्त
2- करण तत्पुरुष (विभक्ति चिन्ह
से, द्वारा)
तुलसीकृत= तुलसी द्वारा कृत आंखों
देखी= आंखो से
देखी गुण युक्त=
गुणों से युक्त रोग ग्रस्त =रोग
से ग्रस्त
3- संप्रदान
तत्पुरुष (विभक्ति चिन्ह के
लिए)
विधालय- विद्या के
लिए आलय गुरु
दक्षिणा- गुरु के
लिए दक्षिणा युद्धाभ्यास-
युद्ध के लिए
अभ्यास हथकड़ी- हाथ के
लिए कड़ी
4- अपादान तत्पुरुष (विभक्ति चिन्ह
से अलग)
आवरण हीन=
आवरण से अलग शोकाकुल= शोक से
आकुल ऋण मुक्त=
ऋण से मुक्त पाप मुक्त= पाप
से मुक्त
5- संबंध तत्पुरुष (विभक्ति चिन्ह
का,की, के)
क्षमादान= क्षमा का
दान सेनानायक=
सेना का नायक देश भक्ति= देश
की भक्ति लोकसभा
=लोक की सभा
6- अधिकरण तत्पुरुष (विभक्ति चिन्ह
में, पर)
रथा सीन=
रथ पर आसीन
मृत्युंजय=
मृत्यु पर जाए पुरुषोत्तम=
पुरुष में उत्तम हवाई
यात्रा= हवा में
यात्रा
(3)- कर्मधारय
समास:- इस समास
में पहला पद
विशेषण तथा दूसरा
पद विशेष्य होता
है।
महात्मा= महान है
जो आत्मा चंद्रमुख=
चंद्र के समान
मुख महावीर=
महान है जो
बीर काली
मिर्च= काली है
जो मिर्च
(4) - दिगु
समास इस समाज
में पहला पद
संख्या बाला होता
है।
नवग्रह= 9 ग्रहों क समूह नवरात= 9रात्रि का समूह त्रिलोक= तीन लोगों
का समूह चौराहा=
चार राहों का
समूह
(5) - द्वंद
समास:- इस समाज
में दोनों पद
प्रधान होते हैं
और योजक चिन्ह
होता है।
माता- पिता = माता और
पिता अमीर- गरीब
=अमीर और गरीब उल्टा- सीधा = उल्टा और
सीधा देश-विदेश =
देश और विदेश
(6) बहुव्रीहि
समास:-इस समास
में कोई भी
पद प्रधान नहीं
होता दोनों पद
मिलकर तीसरे पद
की ओर इशारा
करते हैं।
नीलकंठ= नीला है
कंठ जिसका अर्थात
शिवजी पीतांबर= पीले
हैं वस्त्र जिनके
अर्थात कृष्ण जी दशानन=
दस हैं सिर
जिसके अर्थात रावण तपोधन= तप ही
है धन जिसका
अर्थात तपस्वी
नोट:- बहुव्रीहि,
कर्मधारय, दिगु एक
साथ हो बहुव्रीहि
तो को प्राथमिकता
देंगे
उदाहरण नीलकंठ - नीला कंठ
(कर्मधारय) नीला है
कंठ जिसका अर्थात
शिव जी (बहुव्रीहि
पीतांबर- पीले वस्त्र
(कर्मधारय) पीले हैं
वस्त्र जिनके अर्थात कृष्ण
जी (बहुव्रीहि)
दशानन- दस+आनंद
(दिगु समास) दस
है सर जिनके
अर्थात रावण (बहुव्रीहि)
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