रस रस शब्द आनंद का पर्यायवाची है। जैसे आत्मा के बिना शरीर का कोई मूल्य नहीं उसी प्रकार रस के बिना काव्य का भी कोई मूल्य नहीं होता है। रस युक्त वाक्य ही काव्य माना जाता है।रस 10 प्रकार के होते हैं। मैं आपको रस एवं उनके उदाहरण गीतों के माध्यम से बताऊंगा। यह उदाहरण मात्र समझाने के लिए हैं।
रस की परिभाषा - काव्य के पढ़ने, सुनने अथवा उसका अभिनय देखने में पाठक, श्रोता या दर्शक को जो आनंद मिलता है, वहीं काव्य में रस कहलाता है।
1 श्रंगार रस - 1 संयोग श्रृंगार - इसमें नायक और नायिका के संयोग की स्थिति
का वर्णन होता है ।
उदाहरण - बर्तन लालच लाल की मुरली, धरी लुकाय।
सौंह करें, भौंहनि हॅसें, देन कहें नट जाय।।
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वियोग श्रृंगार - इसमें नायक नायिका के बिछड़ने या दूर देश में
रहने की स्थिति का वर्णन किया जाता है।
उदाहरण - हे खग, हे मृग, हे मधुकर श्रेणी ।
तुम देखी कहीं सीता मृगनयनी ।।
2 हास्य रस - जहां किसी व्यक्ति की अटपटी वाणी जिसे सुनकर या देखकर
हंसी उत्पन्न होती है, वहां हास्य रस होता है ।
उदाहरण - कहां बंदर ने बंदरिया से, चलो नहाए गंगा ।
बच्चों को घर पर छोड़े, होने दो हुड़दंग ।।
3 करुण रस - यहां प्रिय वस्तु से दूर होने का भाव आता है मिलने की कोई उम्मीद नहीं
होती है, वहां करुण रस होता है ।
उदाहरण - हाय ! महा सुख पायो सखा तुम आए न इत कित दिन खोए ।
4- रौद्र रस - जहां किसी काव्य को पढ़कर सुनकर या देखकर क्रोध का भाव
होता है वहां रौद्र रस होता है।
उदाहरण - श्री कृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे ।
सब शोक अपना भूलकर, करतल युगल मरने लगे ।।
5 अदभुत रस - जहां किसी काव्य को पढ़कर, सुनकर या देखकर आश्चर्य का भाव होता है,
वहां अदभुत रस होता है।
उदाहरण - नारी बीच सारी है कि सारी बीच नारी है ।
नारी ही की सारी है कि सारी ही की नारी है ।।
6 भयानक रस - जहां किसी काव्य को पढ़कर, सुनकर या देखकर डर का भाव होता है, वहां भयानक रस होता है।
उदाहरण - देखें जब बारात में भूत, प्रेत, शिव, प्याल ।
थर - थर कांपे नारी - नर, भाग चल सब बाल ।।
7 वीर रस - जहां किसी काव्य को पढ़कर सुनकर या देखकर उत्साह का भाव होता है वहां
वीर रस होता है ।
उदाहरण - बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी ।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ।
8 शांत रस - जहां किसी काव्य को पढ़कर, सुनकर या देखकर (निर्वेद) शांति का भाव होता
है, वहां शांत रस होता है ।
उदाहरण - चलती चाकी देखकर, दिया कबीरा रोय ।
दुइ पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय ।।
9 विभत्स रस - जहां किसी काव्य को पढ़कर, सुनकर या देखकर घृणा का भाव होता है,
वहां विभत्स रस होता है ।
उदाहरण - घर में लाशें, बाहर लाशें, सङती लाशें, नुचती लाशें ।
दुर्गंध घोटती हैं सांसें, इंसान हुआ लाशे - लाशे ।।
10 वात्सल्य रस - जहां किसी काव्य को पढ़कर, सुनकर या देखकर अपने से छोटों के प्रति
प्रेम का भाव होता है, वहां वात्सल्य रस होता है ।
उदाहरण - धूरि भरे अति शोभित श्याम जू,
तैसि बनी सिर सुंदर चोटी ।।
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