एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!
उत्तर- भारत की आज़ादी की लड़ाई में हर धर्म और वर्ग के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। इस कहानी में लेखक ने टुन्नू व दुलारी जैसे पात्रों के माध्यम से उस वर्ग को उभारने की कोशिश की है, जो समाज में हीन या उपेक्षित वर्ग के रूप में देखे जाते हैं। टुन्नू व दुलारी दोनों ही कजली गायक हैं। टुन्नू ने आज़ादी के लिए निकाले गए जलूसों में भाग लेकर व अपने प्राणों की आहूति देकर ये सिद्ध किया कि ये वर्ग मात्र नाचने या गाने के लिए पैदा नहीं हुए हैं अपितु इनके मन में भी आज़ादी प्राप्त करने का जोश है। इसी तरह दुलारी द्वारा रेशमी साड़ियों को जलाने के लिए देना भी एक बहुत बड़ा कदम था तथा इसी तरह जलसे में बतौर गायिका जाना व उसमें नाचना-गाना उसके योगदान की ओर इशारा करता है। लेखक ने इस प्रकार समाज के उपेक्षित लोगों के योगदान को स्वतंत्रता के आंदोलन में महत्त्वपूर्ण माना हैं।
प्रश्न 2.कठोर ह्रदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
उत्त्तर- कठोर ह्रदय समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित हो उठी क्योंकि-
1.टुन्नू
ने दुलारी के हृदय में
एक जगह बना ली
थी।
2.टुन्नू दुलारी के शरीर से नहीं हृदयसे प्रेम करता था।
3.टुन्नू
मे देशभक्ति की भावना थी।
4.फेंकू
द्वारा टुन्नू की मृत्यु का
समाचार पाकर उसका ह्रदय
दर्द से फट पड़ा।
5. दुलारी
ने टुन्नू द्वारा दी गई खादी
की धोती पहन ली
प्रश्न 3.कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- उस समय यह आयोजन मात्र मंनोरंजन का साधन हुआ करता था। परन्तु फिर भी इनमें लोगों की प्रतिष्ठा का प्रश्न रहा करता था। इन कजली गायकों को बुलवाकर समारोह का आयोजन करवाया जाता था । अपनी प्रतिष्ठा को उसके साथ जोड़ दिया जाता था और यही ऐसे समारोहों की जान हुआ करते थे। उनकी हार जीत पर सब टिका हुआ होता था। भारत में तो विभिन्न स्थानों पर अलग−अलग रूपों में अनेकों समारोह किए जाते हैं; जैसे- उत्तर भारत में पहलवानी या कुश्ती का आयोजन, राजस्थान में लोक संगीत व पशु मेलों का आयोजन, पंजाब में लोकनृत्य व लोकसंगीत का आयोजन, दक्षिण में बैलों के दंगल व हाथी−युद्ध का आयोजन किया जाता है।
प्रश्न 4.दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले
सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है,
फिर भी अति विशिष्ट
है। दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ
निम्नलिखित हैं-
1.कजली गायन में निपुणता- दुलारी दुक्कड़ पर कजली गायन की जानी पहचानी गायिका है। वह गायन में इतनी कुशल है कि अन्य गायक उसका मुकाबला करने से डरते हैं। वह जिस पक्ष में गायन के लिए खड़ी होती है, वह पक्ष अपनी जीत सुनिश्चित मानता है।
2.स्वाभिमानी-
दुलारी भले ही गौनहारिन
परंपरा से संबंधित एवं
उपेक्षित वर्ग की नारी
है पर उसके मन
में स्वाभिमान की उत्कट भावना
है। फेंकू सरदार को झाड़ मारते
हुए अपनी कोठरी से
बाहर निकालना इसका प्रमाण है।
3.देशभक्ति
तथा राष्ट्रीयता की भावना- दुलारी
देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता की
भावना के कारण विदेशी
साड़ियों का बंडल होली
जलाने वालों की ओर फेंक
देती है।
4.कोमल
हृदयी- दुलारी के मन में
टुन्नू के लिए जगह
बन जाती है। वह
टुन्नू से प्रेम करने
लगती है। टुन्नू के
लिए उसके मन में
कोमल भावनाएँ हैं।
इस तरह दुलारी का
चरित्र देश-काल के
अनुरूप आदर्श है।
प्रश्न 5.दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?
उत्तर-
दुलारी का टुन्नू से
पहली बार परिचय तीज
के अवसर पर आयोजित
‘कजली दंगल’ में हुआ था।
इस कजली दंगल का
आयोजन खोजवाँ बाज़ार में हो रहा
था। दुलारी खोजवाँ वालों की ओर से
प्रतिद्वंद्वी थी तो दूसरे
पक्ष यानि बजरडीहा वालों
ने टुन्नू को अपना प्रतिद्वंद्वी
बनाया था। इसी प्रतियोगिता
में दुलारी का टुन्नू से
पहली बार परिचय हुआ
था।
प्रश्न 6.दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था-“तें सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट?…!” दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
दुलारी ने कहा था–“तै
सरबउला बोल जिन्नगी में
कब देखले लोट?” अर्थात बढ़-चढ़कर मत
बोल,तूने नोट कहाँ
देखे हैं। उसका कहना
था कि तुम्हारे पिता
जी बड़ी मुश्किल से
गृहस्थी चला रहे हैं।
तेरा नोट से कहाँ
वास्ता पड़ा है?
दुलारी
के इस आक्षेप में
आज के युवा वर्ग
के लिए संदेश है
कि युवक दिशाहीन न
हो। उम्र व समय
का ध्यान रखते हुए अपनी
सोच बनाएं। अपने घर की
परिस्थितियों के अनुरूप ही
आचरण करें।
उदाहरण:-टुन्नू अपने मार्ग से
भटका लेकिन दुलारी के सही दिशा-निर्देश से उसका प्यार
देश-प्रेम में बदल गया।
आज के युवकों के
लिए यही संदेश है।
प्रश्न 7.भारत के स्वीधनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
उत्तर-
विदेशी वस्त्रों के बाहिष्कार हेतु
चलाए जा रहे आन्दोलन
में दुलारी ने अपना योगदान
रेशमी साड़ी व फेंकू द्वारा
दिए गए रेशमी साड़ी
के बंडल को देकर
दिया। बेशक वह प्रत्यक्ष
रूप में आन्दोलन में
भाग नहीं ले रही
थी फिर भी अप्रत्यक्ष
रूप से उसने अपना
योगदान दिया था। टुन्नू
ने स्वतन्त्रता संग्राम में एक सिपाही
की तरह अपना योगदान
दिया था। उसने रेशमी
कुर्ता व टोपी के
स्थान पर खादी के
वस्त्र पहनना आरम्भ कर दिया। अंग्रेज
विरोधी आन्दोलन में वह सक्रिय
रूप से भाग लेने
लग गया था और
इसी सहभागिता के कारण उसे
अपने प्राणों का बालिदान देना
पड़ा।
प्रश्न 8.दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?
उत्तर-
दुलारी और टुन्नू के
ह्रदय में एक दूसरे
के प्रति अगाध प्रेम था
और ये प्रेम उनकी
कला के माध्यम से
ही उनके जीवन में
आया था। दुलारी ने
टुन्नू के प्रेम निवेदन
को कभी स्वीकारा नहीं
परन्तु वह मन ही
मन उससे बहुत प्रेम
करती थी। वह यह
भली भांति जानती थी कि टुन्नू
का प्रेम शारीरिक ना होकर आत्मिय
प्रेम था और टुन्नू
की इसी भावना ने
उसके मन में उसके
प्रति श्रद्धा भावना भर दी थी।
परन्तु उसकी मृत्यु के
समाचार ने उसके ह्रदय
पर जो आघात किया,
वह उसके लिए असहनीय
था। अंग्रेज अफसर द्वारा उसकी
निर्दयता पूर्वक हत्या ने, उसके अन्दर
के कलाकार को प्रेरित किया
और उसने स्वतन्त्रता सेनानियों
द्वारा आयोजित समारोह में अपने गायन
से नई जान फूंक
दी। यही से उसने
देश प्रेम का मार्ग चुना।
प्रश्न 9.जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर से अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?
उत्तर-
स्वयंसेवकों द्वारा फैलाई चद्दर पर जो विदेशी
वस्त्र फेंके जा रहे थे,
वे अधिकतर फटे-पुराने थे।
दुलारी ने फेंकू द्वारा
लाई नई साड़ियों का
बंडल ही फेंक दिया।
यह उसके दृढ़-निश्चय
तथा टुन्नू के प्रति उत्कट
प्रेम का परिचायक है।
प्रश्न 10."मन पर किसी का बस नहीं ; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।" टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?
उत्तर-
टुन्नू दुलारी से प्रेम करता
था। वह दुलारी से
उम्र में बहुत ही
छोटा था। वह मात्र
सत्रह − सोलह साल का
लड़का था। दुलारी को
उसका प्रेम उसकी उम्र की
नादानी के अलावा कुछ
नहीं लगता था। इसलिए
वह उसका तिरस्कार करती
रहती थी। परन्तु इन
वाक्यों ने जैसे एक
अल्हड़ लड़के में प्रेम के
प्रति सच्ची भावना देखी। उसका प्रेम शरीर
से ना जुड़कर उसकी
आत्मा से था। टुन्नू
के द्वारा कहे वचनों ने
दुलारी के ह्रदय में
उसके आसन को और
दृढ़ता से स्थापित कर
दिया। टुन्नु के प्रति उसके
विवेक ने उसके प्रेम
को श्रद्धा का स्थान दे
दिया। अब उसका स्थान
अन्य कोई व्यक्ति नहीं
ले सकता था।
प्रश्न 11.‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का प्रतीकार्थ समझाइए।
उत्तर-
एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’-लोकभाषा
में रचित इस गीत
के मुखड़े का शाब्दिक भाव
है-इसी स्थान पर
मेरी नाक की
लोंग
खो गई है। इसका
प्रतीकार्थ बड़ा गहरा है।
नाक में पहना जाने
वाला लोंग सुहाग का
प्रतीक है। दुलारी एक
गौनहारिन है। वह किसके
नाम का लोंग अपने
नाक में पहने। लेकिन
मन रूपी नाक में
उसने टुन्नू के नाम का
लोंग पहन लिया है
और जहाँ वह गा
रही है; वहीं टुन्नू
की हत्या की गई है।
अतः दुलारी के कहने का
भाव है-यही वह
स्थान है जहाँ मेरा
सुहाग लुट गया है।
उत्तर-
दुलारी उन महिलाओं से
अलग थी जो अपने
स्वास्थ्य के प्रति असावधान
रहती हैं। वह अपने
स्वास्थ्य को उत्तम बनाए
रखती थी। इसके लिए
नियमपूर्वक कसरत करती और
भिगोए हुए चने खाती।
दुलारी समाज के उस
वर्ग से संबंधित थी
जहाँ गीत गाकर गुजारा
करना उनकी रोजी-रोटी
का साधन होता है।
फेंकू सरदार जैसे लोगों से
स्वयं को बचाने के
लिए उसका स्वास्थ्य के
प्रति सजग रहना आवश्यक
था।
प्रश्न 2.टुन्नू दुलारी के लिए खद्दर की सूती साड़ी लेकर क्यों आया?
उत्तर-
टुन्नू सोलह-सत्रह वर्षीय
ब्राह्मण किशोर था, जो कजली
गायन का उभरता कलाकार
था। उसके भीतर राष्ट्रप्रेम
और राष्ट्रीयता की भावना उफ़ान
पर थी। मलमल के
वस्त्र पहनने वाले टुन्नू ने
स्वयं भी खादी पहनना
शुरू कर दिया था।
वह अपने मन के
किसी कोने में दुलारी
के लिए कोमल भावनाएँ
रखता था। अपने मूक
प्रेम की अभिव्यक्ति करने
एवं होली के त्योहार
के अवसर पर उपहार
देने के लिए वह
खद्दर की सूती साड़ी
ले आया।
प्रश्न 3.अपने दरवाजे पर टुन्नू को खड़ा देख दुलारी ने क्या प्रतिक्रिया प्रकट की और क्यों?
उत्तर-
टुन्नू को अपने दरवाजे
पर खड़ा देख दुलारी
ने पहले तो उससे
कहा कि तुम फिर
यहाँ टुन्नू? मैंने तुम्हें यहाँ आने के
लिए मना किया था।
उसने जब टुन्नू के
मुँह से सालभर के
त्योहार की बात सुनी
तो वह अत्यंत क्रोधित
हो उठी और टुन्नू
को अपशब्द कहने लगी। वास्तव
में दुलारी नहीं चाहती थी
कि टुन्नू जैसा किशोर अभी
से अपने भविष्य की
उपेक्षा करके प्रेम-मोहब्बत
के चक्कर में पड़े।
प्रश्न 4.दुलारी का उपेक्षापूर्ण व्यवहार देखकर टुन्नू चला गया पर इसके बाद दुलारी के मनोभावों में क्या-क्या बदलाव आए?
उत्तर-
दुलारी ने न टुन्नू
की लाई खद्दर की
साड़ी स्वीकार की और न
उससे उचित व्यवहार किया।
इससे आहत होकर उसकी
व्यथा आँसू बनकर टपक
पड़ी, जो उसके ही
पैरों के पास उस
साड़ी पर जा गिरी
थी। टुन्नू बिना कुछ कहे
सीढ़ियाँ उतरता चला गया और
दुलारी उसे देखे जा
रही थी, परंतु उसके
नेत्रों में कौतुक और
कठोरता का स्थान करुणा
की कोमलता ने ग्रहण कर
लिया था। उसने भूमि
पर पड़ी खद्दर की
धोती उठाई और स्वच्छ
धोती पर पड़े काजल
से सने आँसुओं के
धब्बों को बार-बार
चूमने लगी।
प्रश्न 5.खोजवाँ वालों ने अपनी ओर से कजली दंगल में किसे खड़ा किया था और क्यों?
उत्तर-
खोजवाँ वालों ने कजली दंगल
में अपनी ओर से
दुलारी को खड़ा किया।
इसका कारण यह था
कि दुक्कड़ पर गानेवालियों में
दुलारी बहुत प्रसिद्ध थी।
उसे पद्य में सवाल
जवाब करने की अद्भुत
क्षमता प्राप्त थी। कजली गानेवाले
बड़े-बड़े शायर भी
उससे मुकाबला करने से बचते
थे। दुलारी जिस ओर से
गायन के लिए खड़ी
होती थी, उसकी विजय
निश्चित मानी जाती थी।
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