कक्षा-10 पाठ- 8 कन्यादान - हिंदी गुरु

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बुधवार, 2 जून 2021

कक्षा-10 पाठ- 8 कन्यादान

 

         कक्षा-10 पाठ-कन्यादान

 

प्रश्न 1.आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसा मत दिखाई देना?

उत्तर- मेरे विचार से लड़की की माँ ने ऐसा इसलिए कहा होगा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना। वह लड़कियों पर हो रहे शोषण से उसे बचाना चाहती है| कोमलता और शालीनता लड़कियों के गुण होते हैं जिसे माँ, बनाकर रखने को कहती है, परन्तु साथ ही यह भी कहती है, की इतना कमजोर मत बनना की लोगों का अत्याचार सहन करो क्योंकि कमज़ोर लड़कियों का शोषण किया जाता है।

प्रश्न 2.‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है,जलने के लिए नहीं।

() इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?

() माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा


() इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?

उत्तर-() इन पंक्तियों में समाज में स्त्रियों की कमज़ोर स्थिति और ससुराल में परिजनों द्वारा शोषण करने की ओर संकेत किया गया है। कभी-कभी बहुएँ इस शोषण से मुक्ति पाने के लिए स्वयं को आग के हवाले करके अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेती है।

() माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा

उत्तर-() माँ ने बेटी को इसलिए सचेत करना उचित समझा क्योंकि उसकी बेटी अभी भोली और नासमझ थी जिसे दुनियादारी और छल-कपट का पता था। वह लोगों की शोषण प्रवृत्ति से अनजान थी। इसके अलावा वह शादी-विवाह को सुखमय एवं मोहक कल्पना का साधन समझती थी। वह ससुराल के दूसरे पक्ष से अनभिज्ञ थी।

प्रश्न 3.‘पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की

कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की

इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर रही है उसे शब्दबद्ध कीजिए।

उत्तर- उपर्युक्त काव्य पंक्तियों को पढ़कर हमारे मन में लड़की की जो छवि उभरती है वह कुछ इस प्रकार है

1.लड़की अभी सयानी नहीं है।

2.लड़की बहुत भोली-भाली है उसे छल-कपट, शोषण आदि की जानकारी नहीं है।

3.लड़की विवाह की सुखद कल्पना में खोई है।

4.उसे केवल सुखों का अहसास है, दुखों का नहीं।

5.उसे ससुराल की प्रतिकूल परिस्थितियों का ज्ञान नहीं है।

प्रश्न 4. माँ को अपर्च, बेटीअंतिम पूँजीक्यों लग रही थी?

उत्तर- माँ को अपनी बेटी अंतिम पूँजी इसलिए लग रही थी क्योंकि कन्यादान के बाद माँ एकदम अकेली रह जाएगी। उसकी बेटी ही उसके दुख-सुख की साथिन थी, जिसके साथ वह अपनी निजी बातें बाँट लिया करती थी। इसके अलावा बेटी माँ के लिए सबसे प्रिय वस्तु (पूँजी) की तरह थी जिसे अब वह दूसरे के हाथ में सौंपने जा रही थी। इसके बाद वह नितांत अकेली रह जाएगी।

 प्रश्न 5.माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?

उत्तर- माँ ने कन्यादान के बाद अपनी बेटी को विदा करते समय निम्नलिखित सीख दी

 

1.माँ ने बेटी को अपनी सुंदरता पर गर्व करने की और प्रशंसा पर ना रीझने की सीख दी।

2.आग का उपयोग रोटियाँ पकाने के लिए करना। उसका दुरुपयोग अपने जलने के लिए मत करना।

3.वस्त्र-आभूषणों के मोह में फँसकर इनके बंधन में बँध जाना।

4.नारी सुलभ गुण बनाए रखना पर कमजोर मत पड़ना।

5.खुद को भोली और कमज़ोर मत दिखाना नहीं तो लोग नाजायज़ फायदा उठाएँगें|                        

6.अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाना और उनसे दुखी होकर आत्महत्या मत करना|

 

रचना और अभिव्यक्ति

 

प्रश्न 6.आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है?

उत्तर- मेरी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना उचित नहीं है। दान तो किसी वस्तु का किया जाता है। कन्या कोई वस्तु तो है नहीं। उसका अपना एक अलग व्यक्तित्व, रुचि, पसंद, इच्छा अनिच्छा आदि है। वह किसी वस्तु की भाँति निर्जीव नहीं है। दान देने के बाद दानदाता का वस्तु से कोई संबंध नहीं रह जाता है, परंतु कन्या का संबंध आजीवन माता-पिता से बना रहता है। कन्या एक वस्तु जैसी कभी भी नहीं हो सकती है, इसलिए कन्या को दान देने जैसी बात करना पूर्णतया अनुचित है।

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