कक्षा 10 पाठ 13- मानवीय करुणा की दिव्य चमक
प्रश्न
1.फ़ादर की उपस्थिति देवदार
की छाया जैसी क्यों
लगती थी?
उत्तर-
फ़ादर ‘परिमल’ के सदस्यों से
अत्यंत घनिष्ठ एवं पारिवारिक संबंध
रखते थे। वे उम्र
में बड़े होने के
कारण आशीर्वचन कहते, दुखी मन को
सांत्वना देते जिससे मन
को उसी तरह की
शांति और सुकून मिलता
जैसे थके हारे यात्री
को देवदार की शीतल छाया
में मिलता है। इसलिए उनकी
उपस्थिति देवदार की छाया-सी
लगती है।
प्रश्न 2.फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
उत्तर- फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग बन चुके थे। उन्होंने भारत में रहकर अपने देश घर-परिवार आदि को पूरी तरह से भुला दिया था। 47 वर्षों तक भारत में रहने वाले फ़ादर केवल तीन बार ही अपने परिवार से मिलने बेल्जियम गए। वे भारत को ही अपना देश समझने लगे थे। वे भारत की मिट्टी और यहाँ की संस्कृति में रच बस गए थे। पहले तो उन्होंने यहाँ रहकर पढ़ाई की फिर डॉ. धीरेंद्र वर्मा के सान्निध्य में रामकथा उत्पत्ति और विकास पर अपना शोध प्रबंध पूरा किया। उन्होंने प्रसिद्ध अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश भी तैयार किया। इस तरह वे भारतीय संस्कृति के होकर रह गए थे।
प्रश्न 3.पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
उत्तर-
फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम
प्रकट करने वाले प्रसंग
निम्नलिखित हैं
1.फ़ादर बुल्के ने कोलकाता से बी०ए० करने के बाद हिंदी में एम०ए० इलाहाबाद से किया।
2.उन्होंने
प्रामाणिक अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश तैयार किया।
3.मातरलिंक
के प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लू बर्ड’ का हिंदी में
‘नील पंछी’ नाम से रूपांतरण
किया।
4.इलाहाबाद
विश्वविद्यालय से ‘रामकथा-उत्पत्ति
एवं विकास’ पर शोध प्रबंध
लिखा।
5.परिमल
नामक हिंदी साहित्यिक संस्था के सदस्य बने।
6.वे
हिंदी को राष्ट्रभाषा का
गौरव दिलवाने के लिए सतत
प्रयत्नशील रहे।
उत्तर- फ़ादर
बुल्के
एक
निष्काम
कर्मयोगी
थे।
वे
लम्बे,
गोरे,
भूरी
दाढ़ी
व
नीली
आँखों
वाले
चुम्बकिय
आकर्षण
से
युक्त
संन्यासी
थे। वे
इतने मिलनसार थे कि एक
बार संबंध बन जाने पर
सालों-साल निभाया करते
थे। वे पारिवारिक जलसों
में पुरोहित या बड़े भाई
की तरह उपस्थित होकर
आशीर्वादों से भर देते
थे, जिससे मन को अद्भुत
शांति मिलती थी। उस समय
उनकी छवि देवदार के
विशाल वृक्ष जैसी होती थी।
प्रश्न 5.लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
उत्तर-
लेखक ने फ़ादर कामिल
बुल्के को मानवीय करुणा
की दिव्य चमक इसलिए कहा
है क्योंकि फ़ादर नेक दिल वाले
वह व्यक्ति थे जिनकी रगों
में दूसरों के लिए प्यार,
अपनत्व और ममता भरी
थी। वह लोभ, क्रोध
कटुभाषिता से कोसों दूर
थे। वे अपने परिचितों
के लिए स्नेह और
ममता रखते थे। वे
दूसरों के दुख में
सदैव शामिल होते थे और
अपने सांत्वना भरे शब्दों से
उसका दुख हर लेते
थे। लेखक को अपनी
पत्नी और बच्चे की
मृत्यु पर फ़ादर के
सांत्वना भरे शब्दों से
शांति मिली थी। वे
अपने प्रेम और वत्सलता के
लिए जाने जाते थे।
प्रश्न 6.फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है, कैसे?
उत्तर-
परंपरागत रूप से संन्यासी
एक अलग छवि लेकर
जीते हैं। उनका विशेष
पहनावा होता है। वे
सांसारिकता से दूर होकर
एकांत में जीवन बिताते
हैं। उन्हें मानवीय संबंधों और मोह-माया
से कुछ लेना-देना
नहीं होता है। वे
लोगों के सुख-दुख
से तटस्थ रहते हैं और
ईश वंदना में समय बिताते
हैं।फ़ादर बुल्के परंपरागत संन्यासियों से भिन्न थे।
वे मन के नहीं
संकल्प के संन्यासी थे।
वे एक बार संबंध
बनाकर तोड़ना नहीं जानते थे।
वे लोगों से अत्यंत आत्मीयता
से मिलते थे। वे अपने
परिचितों के दुख-सुख
में शामिल होते थे और
देवदारु वृक्ष की सी शीतलता
से भर देते थे।
इस तरह उन्होंने परंपरागत
संन्यासी से हटकर अलग
छवि प्रस्तुत की।
प्रश्न 7.आशय स्पष्ट कीजिए
(क) नम
आँखों
को
गिनना
स्याही
फैलाना
है।
(ख)
फ़ादर को याद करना
एक उदास शांत संगीत
को सुनने जैसा है।
(क)
नम आँखों को गिनना स्याही
फैलाना है।
उत्तर-(क) आशय यह
है कि फ़ादर की
मृत्यु पर अनेक साहित्यकार,
हिंदी प्रेमी, ईसाई धर्मानुयायी एवं
अन्य लोग इतनी संख्या
में उपस्थित होकर शोक संवेदना
प्रकट कर रहे थे
कि उनकी गणना करना
कठिन एवं उनके बारे
में लिखना स्याही बर्बाद करने जैसा था
अर्थात् उनकी संख्या अनगिनत
थी।
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
उत्तर-(ख) आशय यह
है कि फ़ादर को
याद करते ही उनका
करुणामय, शांत एवं गंभीर
व्यक्तित्व हमारे सामने आ जाता है।
उनकी याद हमारे उदास
मन को विचित्र-सी
उदासी एवं शांति से
भर देती है। ऐसा
लगता है जैसे हम
एक उदाससा संगीत सुन रहे हैं।
रचना
एवं अभिव्यक्ति
प्रश्न
8.आपके विचार से बुल्के ने
भारत आने का मन
क्यों बनाया होगा?
उत्तर-
भारत प्राचीनकाल से ही ज्ञान
और आध्यात्म का केंद्र रहा
है। हमारे विचार से फ़ादर बुल्क़े
ने भारत के प्राचीन
एवं गौरवपूर्ण इतिहास तथा यहाँ की
सभ्यता-संस्कृति, जीवन-दर्शन, सत्य,
अहिंसा, प्रेम, धर्म, त्याग तथा ऋषि-मुनियों
से प्रभावित होकर ही भारत
आने का मन बनाया
होगा।
प्रश्न 9.‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रैम्सचैपल।’-इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?
उत्तर-
‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रैम्सचैपल।’-
इस पंक्ति में फादर बुल्के
की अपनी जन्म भूमि
के प्रति अपार श्रद्धा व
प्रेम की भावना अभिव्यक्त
होती है।
. मेरी
जन्म भूमि भी मुझे
बहुत सुंदर और प्यारी लगती
है। मैं यहां की
मिट्टी में ही खेल
कर बड़ा हुआ हूं,
अतः यहां की धरती
मेरी माता के समान
है। इसके प्रति मेरा
भी कुछ कर्तव्य है,यह मुझे सदा
ध्यान रखना चाहिए।
अन्य
महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.फ़ादर बुल्के ने हिंदी के उत्थान के लिए क्या-क्या प्रयास किए?
उत्तर-
भारत में रहते हुए
फ़ादर ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय
से हिंदी में एम०ए० किया।
इससे ज्ञात होता है कि
हिंदी से उन्हें विशेष
लगाव था। उन्होंने हिंदी
के उत्थान के लिए
1.हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अकाट्य तर्क प्रस्तुत करते।
2.हर
मंच से हिंदी की
दुर्दशा पर दुख प्रकट
करते।
3.हिंदी
वालों द्वारा हिंदी की उपेक्षा पर
दुख प्रकट करते।
4.वे
हिंदी को राष्ट्रभाषा के
रूप में देखने के
लिए चिंतित रहते।
प्रश्न
2. मानवीय करुणा की दिव्य चमक
पाठ के आधार पर
फ़ादर की विशेषताओं का
उल्लेख कीजिए।
उत्तर-‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ
से फ़ादर बुल्के की निम्नलिखित विशेषताओं
का ज्ञान होता है
1.फ़ादर संकल्प के संन्यासी थे, मन के नहीं।
2.फ़ादर
संबंध बनाकर उसे निभाना जानते
थे।
3.फ़ादर
अपने परिचितों एवं परिवार वालों
के साथ स्नेहमय संबंध
रखते थे।
4.वे
सुख-दुख में परिवार
के सदस्यों की भाँति खड़े
नजर आते थे।
5.वे
भारत और हिंदी से
असीम लगाव रखते थे।
प्रश्न 3.फ़ादर बुल्के की मृत्यु से लेखक आहत क्यों था?
उत्तर-
फ़ादर बुल्के लोगों से सद्व्यवहार करते
हुए हमेशा प्यार बाँटते रहे। उन्हें किसी
पर क्रोध करते हुए लेखक
ने नहीं देखा था।
उनके मन में दूसरों
के लिए सदैव सहानुभूति
एवं करुणा भरी रहती थी।
ऐसे व्यक्ति की मृत्यु ज़हरबाद
नामक कष्टदायी फोड़े से हुई। फ़ादर
जैसे उदार महापुरुष की
ऐसी मृत्यु के बारे में
जानकर लेखक आहत हो
गया।
प्रश्न 4.लेखक ने फ़ादर का शब्द चित्र किस तरह खींचा है?
उत्तर-
लेखक ने फ़ादर का
शब्द चित्र खींचते हुए लिखा है-एक लंबी पादरी
के सफ़ेद चोगे से ढकी
आकृति, गोरा रंग, सफ़ेद
झाँई मारती भूरी दाढ़ी, नीली
आँखें, बाँहे खोलकर गले लगाने को
आतुर, जिनका दबाव लेखक अपनी
छाती पर महसूस करता
है।
प्रश्न 5.‘परिमल’ क्या है? लेखक को परिमल के दिन क्यों याद आते हैं?
उत्तर-‘परिमल’ इलाहाबाद की एक साहित्यिक
संस्था है, जिसमें युवा
और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और
विचार एक-दूसरे के
समक्ष रखते थे। लेखक
को परिमल के दिन इसलिए
याद आते हैं, क्योंकि
फ़ादर भी ‘परिमल’ से जुड़े। वे
लेखक एवं अन्य साहित्यकारों
के हँसी-मजाक में
शामिल होते, गोष्ठियों में गंभीर बहस
करते और लेखकों की
रचनाओं पर बेबाक राय
और सुझाव देते थे।
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