कक्षा-10 पाठ 4- आत्मकथ्य - हिंदी गुरु

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शनिवार, 15 मई 2021

कक्षा-10 पाठ 4- आत्मकथ्य

 


                                  कक्षा-10 पाठ 4- आत्मकथ्य 

 प्रश्न 1. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते हैं ?

उत्तर-कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहते हैं क्योंकि उनका जीवन दुखदायी घटनाओं से भरा पड़ा है। अपनी सरलता के कारण उन्होंने कई बार धोखा भी खाया है। वे मज़ाक का कारण नहीं बनाना चाहते| उन्हें लगता है की उनकी आत्मकथा में कुछ रोचक और प्रेरक नहीं है|

प्रश्न 2.आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में अभी समय भी नहींकवि ऐसा क्यों कहता है?

उत्तर-अभी समय भी नहींकवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कवि को लगता है कि उसने जीवन में अब तक कोई ऐसी उपलब्धि नहीं हासिल की है जो दूसरों को बताने योग्य हो तथा उसकी दुख और पीड़ा इस समय शांत है अर्थात् वह उन्हें किसी सीमा तक भूल गया है और इस समय उन्हें याद करके दुखी नहीं होना चाहता है।

प्रश्न 3.स्मृति कोपाथेयबनाने से कवि का क्या आशय है?

उत्तर- स्मृति को 'पाथेय' बनाने से कवि का आशय जीवनमार्ग के प्रेरणा से है। कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था, वह उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ। इसलिए कवि स्वयं को जीवन-यात्रा से थका हुआ मानता है। जिस प्रकार 'पाथेय' यात्रा में यात्री को सहारा देता है, आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है ठीक उसी प्रकार स्वप्न में उसके द्वारा देखे हुए सुख की स्मृति भी कवि को जीवन-मार्ग में आगे बढ़ने का सहारा देती हैं।

प्रश्न 4.भाव स्पष्ट कीजिए

() मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।

आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।

उत्तर- कवि कहना चाहता है कि मुझे वह सुख कहां मिल पाया जिस सपने को देखते-देखते मैं जाग गया, सुख मेरे पास आते आते मुस्कुराते हुए दूर चला गया था।

() जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।

अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।

उत्तर- इन पंक्तियों में कवि ने अपनी प्रेयसी के सौंदर्य का वर्णन किया है| वे कहते हैं कि उनके प्रेयसी के गालों की लालिमा इतनी अधिक है की उषा की लालिमा भी उसके सामने फीकी हैं|

प्रश्न 5.उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की- कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर- कवि प्रेयसी के साथ बिताये निजी प्रेम के मधुर और सुख भरे क्षणों को किसी के सामने प्रकट करना नहीं चाहते| वे कहते हैं कि जब उनके जीवन में बेचना रूपी अंधकार छाया हुआ है, तब वह मधुर चांदनी रातों जैसी सुख रुपी उज्जवला का का वर्णन भला कैसे कर सकते हैं।

प्रश्न-6.'आत्मकथ्य' कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर- 'जयशंकर प्रसाद' द्वारा रचित कविता 'आत्मकथ्य' की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

1.कवि ने खड़ी बोली में कोमल शब्दों का प्रयोग किया है|

उदाहरण:-जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुन्दर छाया में|

2.मानवीकरण शैली जो छायावाद की प्रमुख विशेषता है, का प्रयोग किया गया है|

उदाहरण:-अरी सरलते तेरी हंसी उड़ाउँ मैं|

3.तत्सम शब्दों का प्रयोग प्रमुखता से किया गया है|

उदाहरण:-इस गंभीर अनंत-नीलिमा में अंसख्य जीवन-इतिहास

4.गीत में गेय और छंदबद्ध है|

उदाहरण:-उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की|

प्रश्न-7.कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?

उत्तर- 1.कवि ने जो सपना देखा था उसे उसने कविता में चांदनी रात में मिलने वाली प्रेमिका के रूप में अभिव्यक्त किया है।

     2.कवि के सुखद स्वप्न में उन्हें अपने प्रेयसी के साथ कुछ क्षण बिताने का मौका मिला|

     3.वह सुख तो मेरी बाहों में आते-आते मुस्कुरा कर भाग गया था।

     4.चाँदनी रात में प्रेयसी के साथ हुई बातें सदा के लिए दुःख में तब्दील हो गयीं|

                        रचना और अभिव्यक्ति

 प्रश्न 8.इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं की झलक मिलती है

 1.विनम्रता-: प्रसाद जी छायावाद के चार स्तंभों में प्रमुख स्थान रखते हैं, फिर भी वे अत्यंत विनम्र थे। वे अपने जीवन को उपलब्धिहीन मानकर कहते थे-छोटे-से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ।

2.सरल स्वभाव-: प्रसाद जी सरल स्वभाव वाले व्यक्ति थे। वे अपनी सरलता की हँसी नहीं उड़ाना चाहते थेयह विडंबना! अरे सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।

3.यथार्थता-: प्रसाद जी यथार्थवादी थे। वे यथार्थ को स्वीकार कर कहते थेतुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।

प्रश्न 9.आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर- मैं उन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहूँगा, जिन्होंने अपनी मातृ भूमि और देश के लिए सुखों को ठोकर मार दिया और अपने देश के आन-बान और शान के लिए ठोकरें खाईं, संघर्ष किया और आवश्यकता पड़ने पर मौत को भी गले लगा लिया। मैं राणा प्रताप, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसों की आत्मकथा पढ़ना चाहूँगा।

वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें...

https://youtu.be/N6pXt6jHu4M

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