अति लघु उत्तरीय प्रश्न:-
प्रश्न- 1 रैदास
की प्रभु भक्ति किस भाव की है?
उत्तर -
रैदास की प्रभु भक्ति दास (सेवक) भाव की है।
प्रश्न-2 रैदास
ने प्रभु से अपना संबंध किस रूप में निरूपित किया है?
उत्तर -
रैदास ने प्रभु से अपना संबंध चंदन और पानी के रूप में निरूपित किया है।
प्रश्न-3
मीराबाई को कौन- सा रत्न प्राप्त हुआ था?
उत्तर -
मीराबाई को 'राम
नाम रूपी रत्न'
प्राप्त
हुआ था।
प्रश्न-4 मीरा
कहां चढ़कर प्रभु की बाट देख रही है?
उत्तर -
मीरा अपने महल पर चढ़कर प्रभु की बाट देख रही है।
प्रश्न-5 मीरा
के नेत्र क्यों दु;खने लगे?
उत्तर-
प्रभु के दर्शन के बिना मीरा के नेत्र दु;खने लगे।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-6 रैदास
ने बुद्धि को चंचल क्यों कहा है?
उत्तर-
रैदास ने बुद्धि को चंचल इसलिए कहा है कि, आप सबके घट- घट में निवास करने
वाले हो तब भी मैं अपनी इस चंचल बुद्धि के कारण आपको देख नहीं पाता हूं।
प्रश्न-7 मीरा
ने संसार रूपी सागर को पार करने के लिए क्या उपाय बताए हैं?
उत्तर- मीरा ने संसार रूपी सागर को पार करने का
एक ही उपाय बताया है और वह है, सद्गुरु का सच्चे मन से स्मरण।
प्रश्न-8 रैदास
और मीरा की भक्ति की तुलना कीजिए।
उत्तर-
रैदास की भक्ति निर्गुण निराकार ईश्वर की है जबकि मीरा की भक्ति सगुण साकार कृष्ण
के भक्ति है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-9 मीरा
को राम रतन प्राप्त होने से क्या क्या लाभ हुए हैं?
उत्तर-
मीरा को राम रतन धन प्राप्त होने से जन्म जन्मांतर से खोई हुई पूंजी प्राप्त हो गई
और यह पूंजी ऐसी विलक्षण है कि, ना तो यह खर्च होती है और ना ही चोर इसको
चुरा सकते हैं।
अपितु यह तो नित्य बढ़ती ही जाती है।
प्रश्न-10 प्रभु
दर्शन के बिना मीरा की दशा कैसी हो गई है?
उत्तर-
प्रभु दर्शन के बिना मीरा के नेत्र दुखने लगे। उनके शब्द
मीरा के हृदय में सुनाई पड़ रहे है और
उसकी वाणी उनका स्मरण कर कांपने लगी है। वह प्रतिक्षण प्रभु की बाट देखती रहती है, प्रभु
के बिना उसे चैन ही नहीं पड़ता है।
प्रश्न-11 "रैदास
के पदों में भक्ति भाव भरा हुआ है" ?
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
रैदास के पदों में भक्ति भाव भरा हुआ है। वह भगवान को गरीब निवाज एवं गुसाई बताते हैं। उनकी
मान्यता है कि भगवान की कृपा से नीच (छोटा) व्यक्ति उच्च पद को प्राप्त कर लेता है। इतनी बड़ी
कृपा भगवान के अतिरिक्त और कौन कर सकता है? अर्थात कोई नहीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें